स्वास्तिक का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्वास्तिक सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि, और सफलता का प्रतीक माना गया है। इसे ज्यामितीय का प्रतीक भी माना जाता है। जिसमें चार भुजाएं एक केंद्रीय बिंदु से बाहर की ओर जाती हैं। इसे आमतौर पर चार दिशाओं (पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण) का प्रतीक माना जाता है, जो ब्रह्मांड की समग्रता को दर्शाता है। स्वास्तिक के चार कोने धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के प्रतीक माने जाते हैं। यह चारों कोने मानव जीवन के चार उद्देश्य हैं।
उपयोग
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: स्वास्तिक का उपयोग पूजा-पाठ, हवन, और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इसे देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है। ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो सके। शुभता का प्रतीक: किसी नए कार्य की शुरुआत, जैसे घर निर्माण, विवाह, या व्यवसाय, में स्वास्तिक का चिह्न बनाकर शुभता और सफलता की कामना की जाती है। स्वास्तिक गणेश भगवान को अतिप्रिय है। संरक्षण और शांति: प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, स्वास्तिक बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखता है और घर-परिवार में शांति और समृद्धि लाता है।
स्वास्तिक शांति का प्रतीक
स्वास्तिक एक ऐसा प्रतीक है, जो न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा भी है। इसे सकारात्मकता, शक्ति और शांति का भी प्रतीक माना जाता है। इसीलिए यह हमारी भारतीय परंपरा और समाज में विशेष स्थान रखता है।
लाल और पीले रंग का स्वास्तिक
स्वास्तिक को सूर्य के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। यह हमारे जीवन में प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। लाल और पीले रंग का स्वास्तिक सबसे अच्छा माना जाता है। घर के प्रवेश द्वार पर लाल रंग का स्वास्तिक बनाने से वास्तु दोष दूर होते हैं और घर के वातावरण में सकारात्मकता आती है। डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।