ओडिशा से आते हैं कारीगर
श्रद्धालुओं का मानना है कि भगवान के रथ को खींचने से उनके पाप व कष्ट दूर होते हैं और पुण्य फल की प्राप्ति होती है । रथयात्रा के लिए यहां पूरे मंदिर परिसर का रंगरोगन कार्य जोरशोर से किया जाता है, और भगवान के नगर भ्रमण के लिए भरपूर तैयारी की जाती हैं । भगवान के रथ को बनाने के लिए यहां भी ओडिशा से कारीगर आते हैं, और रथयात्रा के दो दिन पहले ही पूरी रथ बनाकर से तैयार कर देते है ।
इस साल जिस प्रकार ओडिशा के पवित्र धाम पुरी में 14 जुलाई को रथयात्रा निकाली जायेगी, ठीक इसी दिन राजधानी रायपुर में भी रथयात्रा निकलेगी । रथयात्रा पुरे शहर में निकलने के बाद पुरानी बस्ती के मुख्य मार्ग पर भगवान श्री जगन्नाथ नौ दिन के लिए विराजमान होकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं । भगवान को विशेष प्रकार के प्रसाद का भोग लगाया जाता हैं । बाद में इसी भोग लगे हुए महाप्रसाद को सभी भक्तों में बाट दिया जाता हैं, ऐसी मान्यता है कि इस प्रसाद का सेवन करने से व्यक्ति सालभर निरोगी रहता है । रायपुर में पुरानी बस्ती के अलावा अवंति विहार, सदरबाजार, आमापारा, शास्त्री बाजार बांस टॉल, लिली चौक व गुढ़ियारी स्थित जगन्नाथ मंदिरों से भी रथयात्रा निकली जाती हैं ।