1- स्कंद षष्ठी के दिन उपवास रखकर कार्तिकेय के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती हैं ।
2- इस दिन स्कंद देव (कार्तिकेय) जी की स्थापना करके अखंड दीपक जलाकर पहले स्कंद षष्ठी महात्म्य का पाठ किया जाता हैं ।
3- पूजा में सबसे पहले भगवान को स्नान कराकर नए वस्त्र पहनाकर षोडशोपचार विधि से पूजन के बाद भोग लगाया जाता हैं ।
4- इसका व्रत रखने वाले की कार्य की सिद्धि सफल होने के लिए- शराब, प्याज, लहसुन, मांस आदि करते हैं तो उनका त्याग करना और ब्रह्मचर्य का पालन करना अति आवश्यक होता हैं ।
5- स्कन्द षष्ठी का व्रत करने वाले दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भगवान कार्तिकेय का पूजन करें ।
6- पूजन में घी, दही, जल और पुष्प से अर्घ्य प्रदान करना चाहिए ।
7- व्रत वाले दिन रात्रि में भूमि पर शयन करना चाहिए ।
8- इस मंत्र का उच्चारण करते हुये भगवान कार्तिकेय का आवाहन पूजन करें ।
मंत्र- ॐ देव सेनापते स्कन्द कार्तिकेय भवोद्भव ।
कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते ॥
9- आवाहन पूजन के बाद संतान सुख की कामना से कार्तिकेय गायत्री मंत्र का जप 108 बार करने के बाद इतने ही मंत्रों से गाय के घी का हवन भी करें ।
मंत्र- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोदयात् ।।