CG Festival Blog: दीवाली तब और अब: रौशन होती दीपावली के साथ मैंने बिखरते देखे हैं परिवार
5 दिन की होती है दिवाली, हर दिन का अलग ही महत्व
दीपावली का पर्व पूरे 5 दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें हर दिन का अलग ही महत्व होता है। पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी, तीसरे दिन बड़ी दिवाली (CG Festival Blog) में घर-घर लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।CG Festival Blog: गौ माता को देते हैं मां लक्ष्मी का दर्जा
सरगुजा अंचल की संस्कृति, मान्यताएं और तीज-त्योहार बिल्कुल अनूठे हैं। यहां विशेषकर सोहराय के रूप में लक्ष्मी पूजा का पर्व माना जाता है। इस दिन लोग साफ-सफाई करते हैं और गौ माता की लक्ष्मी के रूप में उपासना करते हैं। जनजातीय समाज के लोग कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन सामान्य रूप से दिवाली मनाते हैं।देवउठनी सोहराय पर्व के दिन खेला जाता है डार
देवउठनी सोहराई पर्व (CG Festival Blog) के दिन जनजाति समुदाय के लोग डार खेलते हैं। इसमें रात भर करमा नृत्य किया जाता है और सुबह नदी में जाकर स्नान करते हैं। सरगुजा अंचल में डार खेलने की एक परंपरा प्रचलित है। यहां त्योहारों में डार खेला जाता है। जैसे करमा डार, तीजा, डार, जीवतिया डार, दसांई डार और देवउठनी सोहराय में सोहराय डार खेला जाता है।CG Festival Blog: उत्साह और उमंग का पर्व है दीपावली, दशहरा से देवउठनी तक निभाते हैं कई परंपरा
देवउठनी एकादशी से उठ जाते हैं देवता
ऐसी मान्यता प्रचलित है कि देवउठनी एकादशी से देवता उठ जाते हैं। इसलिए कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जाता है। ऐसी मान्यताएं (CG Festival Blog) हैं कि भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को 4 माह के लिए सो जाते हैं, फिर कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं।दिवाली सोहराई के दिन मनाते हैं कोठा तिहार
सरगुजा आंचल में देवउठनी एकादशी दिवाली (CG Festival Blog) के दिन कोठा तिहार भी मनाया जाता है। इसमें ग्रामीण लोग अपने गौ माता का पैर धो कर फूलमाला चढ़ाकर लक्ष्मी के रूप में पूजा करते हैं। जनजातीय समाज के लोग अब धीरे-धीरे कार्तिक अमावस्या मुख्य दिवाली के दिन भी दीये जला कर गौ माता को मां लक्ष्मी के रूप की पूजा करते हैं। लेकिन इनकी मुख्य दिवाली देवउठनी एकादशी को सोहराई पर्व के रूप में मनाते हैं।(राज्यपाल पुरस्कृत व्याख्याता)
सदस्य, जिला पुरातत्व संघ, सूरजपुर