शनि प्रदोष व्रत 2024
त्रयोदशी तिथि प्रारंभः शनिवार 31 अगस्त 2024 को सुबह 02:25 बजे सेत्रयोदशी तिथि समापनः रविवार 01 सितंबर 2024 को सुबह 03:40 बजे तक
शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष): शनिवार 31 अगस्त 2024 को
प्रदोष पूजा मुहूर्तः 31 अगस्त शाम 06:39 बजे से रात 08:55 बजे तक
अवधिः 02 घंटे 17 मिनट परिघ योग: शाम 05:39 बजे से अगले दिन शाम 05:50 बजे तक
पुष्य नक्षत्र: प्रात:काल से शाम 07:39 बजे तक
शनि प्रदोष व्रत का पारण: 1 सितंबर रविवार सुबह 05:59 बजे के बाद
आनंदादि योग
मित्रः शाम 07:39 बजे तकमानस योग ये भी पढ़ेंः शनिवार को काला कपड़ा खरीदना चाहिए या नहीं, जानें क्या कहते हैं शास्त्र
शनि प्रदोष मंत्र
शिवजी का मूल मंत्र
ॐ नमः शिवाय॥महा मृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
रूद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहितन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
शिव मंत्र
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं॥ ये भी पढ़ेंः Aaj Ka Rashifal 31 August: मिथुन, कर्क समेत 7 राशियों को धन लाभ, आज का राशिफल में जानें अपना भविष्यशनि प्रदोष व्रत पूजा विधि
- शनि प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होक स्वच्छ वस्त्र पहनकर व्रत और शिव पूजा का संकल्प करें।
2. इसके बाद पूजा अर्चना कर दिनभर फलाहार करें, फिर शाम के समय पूजा स्थल को साफ कर सफेद वस्त्र पहनकर पूजा करें।
3. इसके लिए पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार कर पूजन की सामग्री एकत्रित करके लोटे में शुद्ध जल भरकर, कुश के आसन पर बैठें और विधि-विधान से शिवजी की पूजा-अर्चना करें।
4. इसके लिए सबसे पहले शिव जी का गंगाजल से अभिषेक करें, उसके बाद शिवलिंग पर अक्षत, बेलपत्र, चंदन, फूल, फल, भांग, धतूरा, नैवेद्य, शहद, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
5. इस दौरान पंचाक्षर मंत्र ओम नम: शिवाय या ऊपर लिखे मंत्र में किसी एक का जाप करें।
6. हे त्रिनेत्रधारी, मस्तक पर चंद्रमा का आभूषण धारण करने वाले, करोड़ों चंद्रमा के समान कांतिवान, पिंगलवर्ण के जटाजूटधारी, नीले कंठ और अनेक रुद्राक्ष मालाओं से सुशोभित, त्रिशूलधारी, नागों के कुंडल पहने, व्याघ्र चर्म धारण किए हुए, वरदहस्त, रत्नजड़ित सिंहासन पर विराजमान शिवजी हमारे सारे कष्टों को दूर करके सुख-समृद्धि का आशीष दें। इस तरह शिवजी के स्वरूप का ध्यान करके मन ही मन प्रार्थना करें।
7. अब आप शिव चालीसा का पाठ करें, आरती गाएं और शनि प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें।
8. कथा पढ़ने या सुनने के बाद समस्त हवन सामग्री मिला लें और 21 अथवा 108 बार निम्न मंत्र से आहुति दें।
मंत्र- ‘ॐ ह्रीं क्लीं नम: शिवाय स्वाहा’।
9. पूजा के बाद क्षमा मांगें और संतान प्राप्ति के लिए आशीर्वाद लें।
10 इसके बाद शिवजी की आरती करके बांटें, उसके बाद भोजन करें।
11. इसके साथ ही इस दिन शनि पूजन का भी अधिक महत्व होने के कारण किसी भी शनि मंदिर में जाकर शनि पूजन करके उन्हें भी प्रसन्न करना चाहिए।
12. रात के समय में जागरण करें और अगले दिन सुबह में स्नान आदि करके पूजा करें फिर ब्राह्मणों को दान और दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें।
13. भोजन में केवल मीठी चीजों का ही उपयोग करें। अगर घर पर यह पूजन संभव न हो तो व्रतधारी शिवजी के मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करके इस दिन का लाभ ले सकते हैं।