scriptसंत रामदास जंयती 15 अक्टूबर 2019 : असभ्य शब्द बोलने वाला अपने असभ्य खानदान का परिचय देता है | Sant Ramdas Jayanti 15 october 2019 | Patrika News
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संत रामदास जंयती 15 अक्टूबर 2019 : असभ्य शब्द बोलने वाला अपने असभ्य खानदान का परिचय देता है

Sant Ramdas Jayanti : संत रामदास जंयती 15 अक्टूबर 2019 : असभ्य शब्द बोलने वाला अपने अपने असभ्य खानदान का परिचय देता है

Oct 14, 2019 / 01:52 pm

Shyam

संत रामदास जंयती 15 अक्टूबर 2019 : असभ्य शब्द बोलने वाला अपने अपने असभ्य खानदान का परिचय देता है

संत रामदास जंयती 15 अक्टूबर 2019 : असभ्य शब्द बोलने वाला अपने अपने असभ्य खानदान का परिचय देता है

एक गाँव में संत रामदास कुछ दिनों तक सत्संग का प्रवचन करने के लिये ठहरे हुये थे वो बहुत ही शालीन स्वभाव के थे और स्वयं के हाथों से सात्विक आहार बनाकर ग्रहण करते थे। उसी गाँव का एक युवक एक दिन आया और संत रामदास जी से अपने घर भोजन ग्रहण करने के लिये कहा- संत रामदास जी ने कहा वत्स मैं अन्यत्र कहीं भोजन नही करता हूं, ये मेरा नियम है। लेकिन वह युवक बहुत जिद्द करने लगा और बार-बार समझाने पर भी जब वह नहीं माना तो संत रामदास ने उस युवक का दिल रखने के लिये अपनी स्वीकृति दे दी।

 

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अगले दिन रामदास जी उसके घर भोजन करने को गये तो उस युवक ने भोजन का थाल लगाया जिसमें नाना प्रकार के व्यंजन परोसकर संत रामदास जी के आगे रखी। संत जी ने आँख बंधकर, हाथ जोड़कर भगवान को प्रणाम किया और जैसे ही आँखे खोली तो उस युवक संत रामदास जी को अपशब्द कहते हुए कहा रे ढोंगी संत तु तो कहीं भोजन नही करता फिर यहां क्यों भोजन करने आया, जैसे बहुत सारे अपशब्द कहे। संत रामदास जी बिना भोजन किए ही वहाँ से मुस्कुराकर चले गये और बारम्बार भगवान श्रीराम जी का शुक्रिया अदा करने लगे। संत रामदास जी की वो मुस्कुराहट और उनके द्वारा भगवान श्रीराम जी को शुक्रिया अदा करना उस युवक के समझ में नहीं आया और बार-बार संत रामदास जी की वो मुस्कुराहट एक तीर की तरह उस युवक के सीने मे उतर गई और फिर जिस दिन कथा की पूर्णाहुति थी वो युवक संत रामदास जी के पास गया और अपने दुर्व्यवहार के लिए क्षमा प्रार्थना करने लगा जिस पर संत रामदास ने उन्हें उसी क्षण क्षमा कर दिया।

 

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युवक ने कहा हे देव उस दिन जब मैंने आपको इतने असभ्य शब्द बोले तो आपने वापिस प्रति उत्तर क्यों नहीं दिया और रामजी का शुक्रिया अदा क्यों किया था। संत रामदास जी बोले हे वत्स दो कारण थे एक तो मेरे गुरुदेव ने मुझसे कहा था की जब भी कोई तुझे असभ्य शब्द बोले तो अपने नाम को उल्टा कर के समझ लेना अर्थात सदा मरा हुआ समझ लेना, वो जो कहे उसे सुनना ही मत। यदि तुम सुन भी लो तो यही समझना की सामने वाला अपने असभ्य खानदान का परिचय दे रहा है और तुम मुस्कुराहट और सभ्यता के साथ अपना परिचय देना।

 

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संत रामदास जी आगे बोले उस समय मैं श्रीराम जी का इसलिये शुक्रिया अदा कर रहा था की मेरे राम तुने नियम भी बचा लिया और गुरु आदेश भी और आज मैं संतुष्ट होकर तुम्हारे गाँव से जा रहा हूं और एक बार फिर से रामजी का आभार प्रकट करता हूं। युवक ने कहा पर आप अब क्यों आभार प्रकट कर रहे है, संत रामदास जी ने कहा बेटा तेरा ह्रदय परिवर्तन हो गया और तेरे गाँव में मेरा आना सार्थक हो गया, इतने सुनते ही वह युवक संत रामदास जी के श्री चरणों में गिर गया और बार-बार क्षमा याचना करने लगा।
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