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रुद्राभिषेक के लिए जरूरी है ये सामग्री, सावन में इस विधि से शिव अभिषेक का मिलता है अनंत फल

Rudrabhishek Puja Samagri Sawan : सावन शिवजी का प्रिय महीना है, इस माह में अभिषेक उन्हें और भी प्रिय है। इससे वो तुरंत प्रसन्न होकर कृपा प्रदान करते हैं। आइये जानते हैं रुद्राभिषेक पूजा सामग्री और रुद्राभिषेक का सही तरीका..

भोपालAug 03, 2024 / 07:05 pm

Pravin Pandey

Rudrabhishek Puja Samagri Sawan

रुद्राभिषेक के लिए जरूरी है ये सामग्री, सावन में इस विधि से शिव अभिषेक का मिलता है अनंत फल

Rudrabhishek Puja Samagri Sawan: सावन में रुद्राभिषेक का बड़ा महत्व है। इसके लिए शास्त्रों में कई तरह के द्रव्य से शिव का अभिषेक करने का विधान बताया गया है। मान्यता के अनुसार भगवान सदाशिव की प्रसन्नता के निमित्त निष्काम भाव से किया गया रुद्राभिषेक अनंत फल देता है। आइये जानते हैं सावन में किन द्रव्यों यानी सावन में किस सामग्री से रुद्राभिषेक करना चाहिए।

सावन में रुद्राभिषेक की सामग्री

वाराणसी के पुरोहित पं शिवम तिवारी के अनुसार सावन में किसी भी दिन सदाशिव का रुद्राभिषेक परम कल्याणकारी है, लेकिन सोमवार, त्रयोदशी और शिवरात्रि को रुद्राभिषेक की महिमा निराली है। इसके लिए पहले से ये द्रव्य जुटा लेने चाहिए। लेकिन इसके संपूर्ण फल के लिए विधि विधान का ध्यान जरूरी है।

पूजन सामग्री

मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग, एक लोटा जल, गेहूं के 21 दाने, 5 कमल गट्टे, चावल के 108 दाने, 21 काली मिर्च, 1 चुटकी काला तिल, 1 धतूरा, 7 बेलपत्र, 7 शमी पत्र, 7 लाल फूल, 7 पुष्प सादे, दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल, शक्कर, इत्र, 3 गोल सुपारी, रोली और कलावा, अबीर, गुलाल, पीला चंदन, कपूर, 2 दीपक घी के (एक जलाकर रखने के लिए और एक आरती के लिए),2 जनेऊ (एक गणेश जी के लिए और एक शिवजी के लिए), लौंग, इलायची, पान के पत्ते, 5 फल, मिठाई, धूपबत्ती।
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रुद्राभिषेक की विधि

रुद्राभिषेक के लिए शिवलिंग को उत्तर दिशा में रखें, इस समय आपका मुंह पूर्व की ओर रहे। श्रृंगी में सबसे पहले गंगाजल डालें और अभिषेक शुरू करें। फिर इसी से गन्ने का रस, शहद, दही, दूध, जल, पंचामृत आदि जितने तरल पदार्थ अभिषेक के लिए जुटाए हैं, इससे शिवलिंग का अभिषेक करें।

रुद्राभिषेक के दौरान महामृत्युंजय मंत्र- “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥” का जाप करते रहें।
इसी के साथ आप शिव तांडव स्तोत्र, ओम नम: शिवाय या रुद्रमंत्र का जाप भी करें।


शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं ,पान पत्ता, बेलपत्र, सुपारी आदि सभी जुटाई हुई चीजें अर्पित करें और भोग लगाएं।
शिवलिंग के पास धूप-दीप जलाएं और शिवजी के मंत्र का 108 बार जाप करें। साथ ही परिवार समेत आरती करें।
रुद्राभिषेक के जल को किसी पात्र में एकत्रित करते रहें और बाद में इस जल को पूरे घर में छिड़कें।
इस जल को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें, मान्यता है कि इससे रोग-दोष दूर हो जाते हैं।
(नोट-इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं, www.patrika.com इसका दावा नहीं करता। इसको अपनाने से पहले और विस्तृत जानकारी के लिए किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।)

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