scriptशिवलिंग पर जल चढ़ाने का यह है सही तरीका, इन दिशाओं से करें अभिषेक, भगवान शिव हो जाएंगे प्रसन्न | right way to offer Jal to Shivling sawan shivling par jal chadhane ke niyam do Shivji Abhishek from these directions Lord Shiva will be pleased jal chadhane ki disha | Patrika News
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शिवलिंग पर जल चढ़ाने का यह है सही तरीका, इन दिशाओं से करें अभिषेक, भगवान शिव हो जाएंगे प्रसन्न

right way to offer Jal to Shivling: आमतौर पर भगवान शिव के अभिषेक की प्रथा समुद्र मंथन के बाद से शुरू हुई मानी जाती है। कथाओं के अनुसार हलालल पान के बाद शिवजी को अधिक गर्मी लगी थी। ऐसे में देवी-देवताओं ने जल से उनका अभिषेक किया था। तभी से भगवान शिव का अभिषेक किया जाने लगा। इससे वो शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है शिवजी के अभिषेक का सही तरीका…

भोपालAug 18, 2024 / 03:55 pm

Pravin Pandey

right way to offer Jal to Shivling

शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सही तरीका

Shivling Par Jal Chadane Ke Niyam: वैसे तो प्रतिदिन या हर सोमवार, त्रयोदशी और शिवरात्रि पर भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। लेकिन सावन में शिव के अभिषेक का महत्व बढ़ जाता है। इससे शिवजी प्रसन्न होते हैं, मगर शिवजी को जल चढ़ाने का नियम सही होना चाहिए।

इसमें दिशा का ध्यान भी जरूरी है। पूर्व दिशा भगवान शिव का मुख्य प्रवेश द्वार होती है। ऐसे में इस दिशा में मुंह करके जल नहीं चढ़ाना चाहिए। मान्यता है कि उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ही जल चढ़ाना सही होता है। क्योंकि इस दिशा में शिवजी का बाया अंग होता है और यह माता पार्वती को समर्पित है। आइये जानते हैं कैसे चढ़ाएं शिवजी को जल …
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ऐसे चढ़ाएं शिवजी को जल

1. शिव पुराण के अनुसार शिवजी को हमेशा बैठकर जल चढ़ाना चाहिए और जल चढ़ाते समय धार धीमी होनी चाहिए और इस दौरान शिव मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।
2. तांबे, कांसे या फिर चांदी के पात्र में जल लेकर सबसे पहले जलहरी के दायीं ओर चढ़ाएं, जो गणेश जी का स्थान माना जाता है। जल चढ़ाते समय गणेश मंत्र को बोलें।

3. दाएं ओर जल चढ़ाने के बाद बायीं ओर जल चढ़ाएं। इसे भगवान कार्तिकेय का स्थान माना जाता है।
4. दाएं और बाएं ओर चढ़ाने के बाद जलहरी के बीचों-बीच जल चढ़ाएं। इस स्थान को शिव जी की पुत्री अशोक सुंदरी की मानी जाती है।

5. अशोक सुंदरी को जल चढ़ाने के बाद जलधारी के गोलाकार हिस्से में जल चढाएं। इस स्थान को मां पार्वती का हस्तकमल होता है।
6. अंत में शिवलिंग में धीरे-धीरे शिव मंत्र बोलते हुए जल चढ़ाएं।

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