राहु का प्रभाव
1- जातक की जन्मकुंडली में राहु पूर्व जन्म के कर्मों के बारे में बताता है।
2- राहु परिवर्तनशील, अस्थिर प्रकृति का ग्रह माना जाता है।
3- राहु में अंतर्दृष्टि भी होती है ताकि वह काल की रचनाओं के बारे में सोच सके, बता सके।
4- भौतिक दृष्टि से इसका कोई रंग, रूप, आकार नहीं है, इसकी कोई राशि, वार भी नहीं होता।
5- वैदिक ज्योतिषि के अनुसार, राहु की उच्च राशि मिथुन, मूल त्रिकोण कुंभ और स्वराशि कन्या मानी गई है।
6- राहु पूर्वाभास की योग्यता भी व्यक्ति में विकसित करता है। विशेषकर जब राहु जल राशियों कर्क, वृश्चिक, मीन में हो और उस पर बृहस्पति की दृष्टि हो।
7- राहु का पहला कार्य होता है झूठ बोलना और झूठ बोलकर अपनी ही औकात को बनाये रखना, वह किसी भी गति से अपने वर्चस्व को दूसरों के सामने नीचा नहीं बनना चाहता।
8- ज्यादातर जादूगरों में राहु का असर बहुत अधिक होता है, वे पहले अपने शब्दों के जाल में अपनी जादूगरी को देखने वाली जनता को सम्मोहित कर उन्हें शब्दों के जाल में फसाकर अपनी करतूत को अंजाम देते हैं।
9- राहु का कार्य व्यक्ति को अपने प्रभाव में लेकर अपना काम करना होता है, इसे सम्मोहन का नाम भी दिया जाता है।
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राहु के प्रभाव से बचने के लिए करें यह उपाय
1- इस राहु मंत्र- “ॐ रां राहवे नमः” का 108 बार जप हर रोज करना चाहिए।
2- नौ रत्ती का गोमेद रत्न पंचधातु अथवा लोहे की अंगूठी में जड़वा कर शनिवार के दिन- राहु बीज मन्त्र- “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:” का 108 बार उच्चारण कर अभिमंत्रित करके दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में पहनना चाहिए।
3- नियमित रूप से शिवलिंग पर जलाभिषेक करने सा राहु का प्रभाव जल्द खत्म होने लगता है।
4- राहु दशा से पीड़ित व्यक्ति अगर तेज स्वर में इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार उच्चारण करें। शीघ्र ही राहु की दशा खत्म हो जाती है- मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल, ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।
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