देश में यहां ऐसे मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व
हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार अनेक व्रतों में प्रदोष व्रत को सबसे प्रथम स्थान प्राप्त है। ऐसी मान्यता है इस दिन व्रत रखकर प्रदोष काल में पूजा अर्चना करने से मनुष्य जीवन में हुए ज्ञात-अज्ञात पुराने से पुराने पाप के दुष्फल से मूक्ति मिल जाती है और कामनाएं पूरी होने लगती है। अगर बुधवारी प्रदोष के दिन प्रदोष काल (शाम के समय) एक साथ श्रीगणेश एवं भगवान शंकर की पूजन करने से जीवन की सभी अपूर्णताएं पूर्ण होने लगती है।
2020 में कुल 25 एकादशी तिथियां : जानें पूरी तारीखें
बुधवारी प्रदोष के दिनभर व्रत रखकर शाम को प्रदोष काल में स्नान करके धुले हुए वस्त्र धारण कर लें। अब घर पर ही या किसी शिव या गणेश मंदिर में जाकर एक कुशा के आसन पर बैठकर पहले गणेश जी एवं शिवजी विधिवत आवाहन व षोडशोपचार पूजन करें। गणेश जी को बेसन के मोदक एवं शिवजी को श्रीफल अर्पित करें एवं गणेश जी दुर्वा एवं शिव जी को बेलपत्र भी चढ़ावें।
नए साल 2020 का पहला चंद्रग्रहण जनवरी में इस दिन
विधिवत पूजा अर्चना के बाद 108 बार तुलसी या लाल चदंन की माला से 108 बार “ऊँ गं गणपतये नम” मंत्र का जप एवं रुद्राक्ष की माला से 108 बार “ऊँ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें। मंत्र जप पूरा होने के बाद भगवान शंकर व श्रीगणेश जी से अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करें। भगवान को लगाएं हुए भोग प्रसाद को सभी में बांटे एवं स्वयं भी ग्रहण करें। कहा जाता है कि उपरोक्त विधि से प्रदोष काल में पूजा करने से व्रती मनोकामनाएं पूरी होने लगती है।
**********