सावन के हर मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत किया जाता है। माना जाता है कि माता पार्वती का ये व्रत काफी असरकारक होता है। यहां तक की भविष्य पुराण में भी इसका जिक्र मिलता है जिसके अनुसार मंगला गौरी व्रत रखने का विधान अखण्ड़ सौभाग्य और संतान प्राप्ति की कामना के लिए है।
इसके अलावा कहते हैं कि वैवाहिक जीवन में चल रहे कष्ट के अलावा विवाह में देर अथवा पति सुख नहीं मिल पाने वाली वाली महिलाओं को ये व्रत अवश्य करना चाहिए।
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मंगला गौरी की पूजा विधि:
सावन के मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में उठने के बाद स्नान आदि नित्य कर्मों से निवृत्त होने के पश्चात साफ-सुथरे वस्त्र पहन लें। वहीं मंदिर आदि स्थानों की सफाई भी करें। इसके बाद मां मंगला गौरी की एक तस्वीर या मूर्ति पूजा वाले स्थान पर स्थापित कर उन्हें फल व फूल चढ़ाएं।
इसके बाद देवी मां के सामने आटे से बने दीपक पर सोलह बत्तियां जलाएं। फिर ‘मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये’ श्लोक से पूजा शुरु कीजिए।
ध्यान रहें इस पूजा में हर चीज सोलह की संख्या में होनी चाहिए, इसके अलावा माता के इस दिन व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करने का विधान है।
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मां मंगला गौरी की कथा
प्राचीन काल में एक शहर में धर्मपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। उसके पास तो बहुत धन-दौलत थी, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं होने के कारण वे दोनों पति-पत्नी हमेशा दुखी रहने के बावजूद ईश्वर भक्ति में लगे रहते थे। एक दिन माता पार्वती की कृपा और भगवान शिव के आशीर्वाद से उनको पुत्र प्राप्ति हुई, लेकिन वह अल्पायु था। और उसके जीवन की कुल उम्र 16 ही थी।
संयोग से उसकी शादी एक ऐसी युवती से हो गई जो ‘मंगला गौरी व्रत’ करती थी। और यह विवाह लड़के की 16 वर्ष की आयु से पहले ही हो गया। वहीं 16 वर्ष की आयु होते ही युवक की मृत्यु हो गई। वहीं युवती के मंगला गौरी के लगातार पूजन से माता प्रसन्न हुईं और शिव के आशीर्वाद ये वह युवक पुन: जीवित होकर पत्नी के साथ सुखी जीवन जीने लगा। इसी तरह व्यापारी को लंबी आयु मिल गई।
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इस दिन क्या ना करें
1- देवी मां का मंत्र जाप करते समय शरीर को न हिलाएं और न ही गा कर मंत्र जाप करें।
2- मन और विचारों में पवित्रता बनाए रखें।
3- इस दिन मां और मां की उम्र वाली महिलाओं का निरादर ना करें।
4- अपशब्दों के इस्तेमाल से बचने के साथ ही इस दिन छल,कपट व प्रपंच से भी दूर रहें।
5- सात्विक रहने के अलावा ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए मन में कोई बुरे विचार न आने दें।