scriptMagh Mela 2023 Kalpwas: पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी कर चुके हैं कल्पवास, जानें नियम | Magh Mela 2023 First President Dr Rajendra Prasad Kalpwas | Patrika News
धर्म-कर्म

Magh Mela 2023 Kalpwas: पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी कर चुके हैं कल्पवास, जानें नियम

Magh Mela 2023 Kalpwas: पौष पूर्णिमा 2023 को माघ मेला प्रयागराज में पहला विशेष स्नान पूरा हो चुका है। अगला विशेष स्नान मकर संक्रांति 15 जनवरी 2023 को है। इस बीच माघ मेले में कल्पवास करने वाले लोग कड़ाके की सर्दी में गंगा तट पर झोपड़ी में रहकर ईश्वर से तादात्म्य स्थापित करने में जुटे हैं। वहीं दूसरे लोग प्रमुख स्नान पर्वों पर जुटेंगे, ऐसे में प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के प्रयागराज में कल्पवास (First President Dr Rajendra Prasad) करने की जानकारी दे रहे हैं।

Jan 07, 2023 / 02:22 pm

Pravin Pandey

first_president_kalpwas.jpg

पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया था कल्पवास

Magh Mela 2023: प्रयागराज में संगम तट पर हर साल देश के कोने-कोने से लोग कल्पवास (Kalpwas Kise Kahte Hai) करने आते हैं। कल्पवास को आध्यात्मिक विकास और आत्मशुद्धि का मार्ग माना जाता है। प्राचीनकाल से चली आ रही परंपरा के अनुसार इस साल भी संगम प्रयागराज में कल्पवासियों के तंबुओं का शहर (Tent City Prayagraj Magh Mela 2023) बसा है, जिसमें कठिन परिस्थितियों में लोग ईश्वर आराधना, आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के कार्य में जुटे हैं।


पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का कल्पवासः जानकारी के अनुसार कुंभ मेला 1954 में पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संगम तट पर स्थित अकबर किला प्रयागराज से कल्पवास (Dr Rajendra Prasad Kalpwas) किया था। इसके लिए किले की छत पर विशेष रूप से कैंप लगाया गया था। अब यह जगह प्रेसिडेंट व्यू के नाम से जानी जाती है।

कल्पवास के नियमः कल्पवास में श्रद्धालु संगम तट पर डेरा लगाते हैं और एक महीने तक झोपड़ी और टेंट में रहते हैं। कल्पवास (Kalpwas) कर रहे व्यक्ति को जमीन पर सोना पड़ता है। अपनी इच्छा पर नियंत्रण रखना होता है। साफ सुथरे पीले और सफेद रंग के कपड़ों का विशेष महत्व है। एक बार कल्पवास शुरू करने के बाद 12 वर्ष तक कल्पवास करना पड़ता है। कल्पवास में एक ही मीटिंग भोजन करना होता है। यह काफी कठिन साधना मानी जाती है।
ये भी पढ़ेंः Kalpwas 2023: जानें कल्पवास के नियम, तीन स्नान से मिलता है दस हजार अश्वमेध यज्ञ का फल


पद्म पुराण में कल्पवास (Kalpwas) के 21 नियमों का वर्णन है। इसमें कहा गया है कि कल्पवास में सत्य, अहिंसा, इंद्रियों का शमन, दया, ब्रह्चर्य आदि का पालन करना चाहिए। इसके अलावा कल्पवास करने वाले व्यक्ति को पौष, माघ की कड़ाके की सर्दी में भी सूर्योदय के समय गंगा स्नान कर भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद भगवान विष्णु और ईष्ट देव की आराधना करनी चाहिए। इसके अलावा दिन भर आध्यात्मिक गतिविधियों में समय बिताना चाहिए। कहा जाता है कल्पवास से पिछले सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है।
https://youtu.be/LSsOklUrbt4

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / Magh Mela 2023 Kalpwas: पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी कर चुके हैं कल्पवास, जानें नियम

ट्रेंडिंग वीडियो