इस मंत्र का जप संकल्प लेकर लगातार नौ दिनों तक एक अनुष्ठान के रूप में करना है। नौ दिनों तक संभव हो तो भूमि पर शयन करें। ब्रह्मचर्य का पालन करें। अपने काम स्वयं करें। नाखुन एवं सिर का बाल न काटे। जप सुबह 4 बजे से लेकर 8 बजे से पहले ही एक निर्धारित समय पर ही करना है। जप के समय गाय के घी का दीपक जलते रहना चाहिए। पूजा में 9 दिनों तक धुले हुये सफेद या पीले वस्त्र ही पहने। जप के बाद आखरी दिन नीचे बताई गई सामग्रियों से जप किए मंत्र की 108 आहूति का हवन भी करें। माता बगलामुखी की साधना जिस घर में होती है उस घर के लोग शत्रु, रोग, दुख-दारिद्रय, कलह आदि से मुक्त रहते हैं। मंत्र जप के बाद हवन में गाय का घी एवं आम, पीपल, पलाश गुलर एवं अकाव की लकड़ी ही प्रयोग करना है।
इस मंत्र के जप प्रयोग से जपकर्ता के घर परिवार में कभी दरिद्र नहीं आती
ऊँ श्री हृीं ऐं भगवती बगले मे श्रियं देहि-देहि स्वाहा।।
करें ये उपाय
1- संतान प्राप्ति के लिए: अशोक के पत्ते, कनेर के पुष्प, तिल व दुग्ध मिश्रित चावल से हवन करना चाहिए।
2- अत्यधिक धन प्राप्ति के लिए चंपा के पुष्प से हवन करना चाहिए।
3- देव-स्तवन एवं तंत्र-सिद्धि के लिए नमक, शक्कर, घी से हवन करना चाहिए।
4- आकर्षण के लिए सरसों से हवन करना चाहिए।
5- वशीकरण एवं उच्चाटन के लिए गिद्ध एवं कौए के पंख, तेल, राई, शहद, शक्कर से हवन करना चाहिए।
6- शत्रु नाश के लिए शहद, घी, दुर्वा से हवन करना चाहिए।
7- रोग नाश के लिए गुग्गल, घी से हवन करना चाहिए।
8- राजवश्यता के लिए गुग्गल व तिल से हवन करना चाहिए।
9- जेल से मुक्ति व गृह-शांति के लिए पीली सरसों, काले तिल, घी, लोभान, गुग्गल, कपूर, नमक, काली मिर्च, नीम की छाल से हवन करना चाहिए।
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