शिव जी की आंसू से हुई उत्पत्ति सनातन धर्म के अनुसार, माता सती जब अपने पिता से नाराज होकर हवनकुंड में कूद गईं और महादेव उनके जले हुए शरीर को लेकर तीनों लोक में विलाप करते हुए विचरण कर रहे थे। शिव के विलाप के कारण जिस-जिस स्थान पर शिव के आंसू गिरे, उन्हीं स्थानों पर रूद्राक्ष वृक्ष की उत्पत्ति हुई।
ये भी पढ़ें- उत्तर भारत का ‘सोमनाथ’ है यह मंदिर, सुबह होने के कारण निर्माण रह गया अधूरा दर्शन करना बहुत ही लाभकारी भगवान शिव से जुड़े होने के कारण रुद्राक्ष को बहुत ही पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि रुद्राक्ष को धारण मात्र से ही जीवन से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। यही नहीं, रुद्राक्ष का दर्शन करना भी बहुत ही लाभकारी माना जाता है। कहा जाता है कि अगर रुद्राक्ष वृक्ष में हर दिन जल चढ़ाया जाय तो घर में सुख-शांति बनी रहती है।
यहां पर है रुद्राक्ष के पेड़ रुद्राक्ष के पेड़ दक्षिण एशिया में जावा, मलेशिया, ताइवान, भारत और नेपाल में मुख्य रूप से पाए जाते हैं। भारत में असम, अरूणाचल प्रदेश, देहरादून जैसी जगहों पर रुद्राक्ष के पेड़ देखने को मिलते हैं।