सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत (Saubhagya Sundri Teej Vrat)
सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत का महत्व हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा है। यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं रखती हैं, जो अपने पति की लंबी उम्र, सौभाग्य की प्राप्ति और खुशहाल गृहस्थ जीवन की कामना करती हैं। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। यह भी पढ़ेः अगर चाहते हैं भगवान विष्णु की कृपा, तो गुरुवार को यह व्रत कथा जरूर पढ़े सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत कथा (Saubhagya Sundri Teej Vrat katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवी सती के पिता ने जब उनके पति शिवजी का उपहास उड़ाते हुए उनका अपमान किया तो इससे दुखी होकर सती ने अग्नि में अपने शरीर का त्याग दिया था । लेकिन अग्निकुंड़ में शरीर त्यागते समय सती ने अपने पिता से यह वादा किया कि वह हर जन्म में शिव की पत्नी के रूप में ही वापस आएंगी।
सती का अगला जन्म पार्वती के रूप में हुआ । इस जन्म में भी माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाया। लेकिन इसके लिए पार्वती को घोर तपस्या करनी पड़ी। आखिर कार शिव जी उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
इसके बाद से सौभाग्य सुदंरी तीज व्रत की परंपरा चली आ रही है। ऐसा मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से सुहागिनों को अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है और वैवाहिक जीवन में खुशहाली रहती है।
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धार्मिक मान्यता के अनुसार सौभाग्य सुंदरी व्रत से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यदि आपकी कुंडली में मांगलिक दोष है तो इस व्रत को करने से वह भी कम होता है। यदि किसी कन्या के विवाह में अड़चन आ रही हो तो इस व्रत को करने से सभी बढ़ाएं दूर हो जाती हैं।