शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भादों मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को रात्रि 12 बजे वृष लग्न और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था । इस ऐसे सजाएं नंदलाला का पलना ।
पूजा सामग्री – कन्हैयां की प्रतिमा को स्नान कराने के लिए एक तांबे की थाली, लोटा, जल कलश, दूध, पंचामृत के अलावा पितांबरी वस्त्र और आभूषण पहले से तैयार रखलें । इसके अलावा स्नान के बाद पूजन के लिए चावल, कुमकुम, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, फूल, अष्टगंध, तुलसीदल यानी तुलसी के पत्ते, तिल और एक जनेऊ जोड़ा भी रखें । कान्हां जी के भोग के लिए प्रसाद के रूप में माखन मिश्री, धनिया पंजीरी, ऋतुफल आदि भी रखें ।
ऐसे करें पूजन
सबसे एक सुंदर सा पालना बनाकर सजालें और उसमें एक चांदी जड़ित चौकी या लकडी की चौकी को भी रखकर सजायें । अब उस चौकी के आसन पर एक सोने या चांदी की थाली में जगत के पालन भगवान श्री कृष्ण जी की प्रतिमा को स्थापित करें । कन्हां जी की स्थापना करने के बाद अब उनका विधि विधान से पूजन करें । पूजन में सबसे पहले शुद्ध जल से स्नान कराएं, स्नान के बाद पंचामृत स्नान करायें, पंचामृत स्नान के बाद पुनः गंगाजल मिले शुद्ध जल से स्नान कराएं । स्नान के बाद भगवान को पिंताबंरी वस्त्र पहनाकर आभूषणों से सुंदर से सुंदर श्रंगार करें । पूर्ण श्रंगार करने के बाद ताजे सुंगंधित फूलों की माला पहनायें । अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’’ सुंगंधित अष्टगंध का तिलक भगवान के माथे पर लगाने के बाद धूप व दीप के दर्शन करावें । पूजन होने के बाद गाय के घी के दीपक और कपूर से आरती करें । आरती के जो भोग के लिए पदार्थ रखे हैं उनका भोग लगाकर सभी को प्रसाद रूप में उसी भोग को बांट दें । इस विधि विधान से कृष्ण कन्हैयां का पलने में पूजन करने सें घर में सभी प्रकार की सुख समृद्धि सहित अनेक खुशियां प्राप्त होने लगेगी ।