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Shani Pradosh Vrat: जान लें प्रदोष व्रत उद्यापन का नियम, इस दिन करें पूजा

हिंदू धर्म के लोग ज्यादातर तिथि को किसी न किसी देवती की पूजा-अर्चना के लिए व्रत रखते हैं। इन व्रत का एक निश्चित समय के बाद उद्यापन (Pradosh Vrat Udyapan rule) करते हैं। इस तरह आइये जानते हैं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित प्रदोष व्रत उद्यापन के नियम क्या हैं और इसकी प्रदोष व्रत डेट (Shani pradosh puja vidhi and shani pradosh vrat date) क्या है।

Mar 02, 2023 / 04:49 pm

Pravin Pandey

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Shani pradosh puja vidhi

Shani Pradosh Vrat: हर महीने की त्रयोदशी को शिव पार्वती पूजा के लिए समर्पित व्रत यानी प्रदोष मार्च की चार तारीख को पड़ रहा है। शनिवार को हिंदू कैलेंडर के आखिरी महीने में शनिवार को पड़ रहे फाल्गुन शुक्ल पक्ष त्रयोदशी यानी शनि प्रदोष व्रत के विषय में आइये बताते हैं प्रमुख बाते….

शनि प्रदोष व्रत डेटः फाल्गुन शुक्ल त्रयोदशी की शुरुआत 4 मार्च 11.43 एएम से हो रही है, जबकि यह तिथि पांच मार्च 2.07 पीएम पर संपन्न हो रही है। वहीं भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में ही होने के कारण त्रयोदशी शनिवार चार मार्च को ही मानी जाएगी।

शनि प्रदोष व्रत पूजाः प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा शाम को की जाती है। इसी समय मंदिरों में भगवान शिव के मंदिरों का जाप किया जाता है। इसके साथ ही पूजा के लिए यह विधि अपनाई जाती है। ऐसे व्यक्ति जो प्रदोष व्रत शुरू करना चाह रहे हैं, और जैसे संकट निवारण निमित्त व्रत रखना है, उन्हें उस दिन पड़ने वाली त्रयोदशी से व्रत की शुरुआत करनी चाहिए। उस दिनसे संबंधित प्रदोष व्रत कथा पढ़नी चाहिए।

1. त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठ जाएं।
2. स्नान आदि के बाद साफ वस्त्र पहन लें।


3.भगवान शिव का जलाभिषेक करें, अक्षत अर्पित करें, धूप-दीप जलाएं।
4. पूरे दिन उपवास करें, सूर्यास्त से कुछ पहले स्नान कर सफेद वस्त्र धारण करें।
5. शाम को गंगाजल से पूजा स्थल को स्वच्छ कर लें, गाय का गोबर की मदद से मंडप तैयार कर लें।

6. मंडप में रंगोली बनाएं, पूजा की तैयारी के बाद उत्तर-पूर्व दिशा में मुंह कर कुशासन पर बैठ जाएं।
7. ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और भगवान शिव का जलाभिषेक करते जाएं।

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ऐसे करें प्रदोष व्रत का उद्यापन

पुरोहितों के अनुसार जो व्यक्ति 11 या 26 त्रयोदशी को व्रत रखता है, उसे उद्यापन के लिए नियमों का पालन करना चाहिए।


1. पुरोहितों के अनुसार प्रदोष व्रत का उद्यापन त्रयोदशी के दिन ही करना चाहिए।
2. उद्यापन से एक दिन पहले श्रीगणेश की पूजा करनी चाहिए, उद्यापन से पहले वाली रात जागरण करते हुए कीर्तन करें।
3. अगले दिन सुबह जल्दी उठकर मंडप बनाएं और इसे वस्त्र-रंगोली से सजाएं।

4. माता पार्वती और भगवान शिव के मंत्र का 108 बार जाप करें।
5. हवन करें और इसमें आहुति के लिए खीर का प्रयोग करें।
6. भगवान शिव की आरती और शांति पाठ करें.
7. दो ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दक्षिणा दें।
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