दक्षिण भारतीय अमावस्यान्त कैलेंडर के अनुसार शनि जयंती वैशाख की अमावस्या तिथि पर आती है। जबकि उत्तर भारत में पूर्णिमांत कैलेंडर गणना से यह ज्येष्ठ अमावस्या पर मनाई जाती है। इसी दिन अधिकांश उत्तर भारतीय राज्यों में वट सावित्री व्रत भी मनाया जाता है। शनि जयंती पर भक्त शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उपवास रखते हैं और शनि मंदिरों में दर्शन कर भगवान शनि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। माना जाता है कि भगवान शनि निष्पक्ष न्याय में विश्वास करते हैं और भक्तों को सौभाग्य और समृद्धि देते हैं। जिन लोगों पर भगवान शनि का आशीर्वाद नहीं होता, उन्हें जीवन में कड़ा परिश्रम करने के बाद भी किसी प्रकार का कोई फल नहीं मिलता और वे वर्षों तक बिना कुछ प्राप्त किए परिश्रम करते रहते हैं।
कब है शनि जयंती
उत्तर भारत में शनि जयंती ज्येष्ठ अमावस्या को मनाई जाएगी। इस साल ज्येष्ठ अमावस्या तिथि की शुरुआत बुधवार 5 जून 2024 को रात 7.54 बजे हो रही है और यह तिथि बृहस्पतिवार 6 जून को शाम 6.07 बजे तक है। हमारे यहां सूर्योदय के समय जो तिथि रहती है, वही तिथि मानी जाती है। इसलिए शनि अमावस्या बृहस्पतिवार 6 जून 2024 को है, यानी शनि जयंती 6 जून को है। विशेष बात है कि इस दिन बेहद शुभ धृति योग रात 10.09 बजे तक बन रहा है। मान्यता है कि इस योग में पूजा साधना और विशेष रूप से गणेश जी की पूजा से मनोवांछित फल मिलते हैं। साथ ही इस योग में किए काम सफल होते हैं।शनि जयंती पर क्या करें और शनि पूजा का महत्व (Shani Jayanti Par Kya Karen)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि जयंती पर भगवान शनि को प्रसन्न करने के लिए हवन, होम और यज्ञ करना चाहिए। शनि जयंती पर सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान शनि तैलाभिषेकम और शनि शांति पूजा है। कुंडली में शनि की साढ़े साती चल रही है तो इस शनि दोष के प्रभाव को कम करने के लिए शनि तैलाभिषेकम और शनि शांति पूजा जरूर करनी चाहिए।शनि तैलाभिषेकम्ः शनि जयंती पर सूर्यास्त के बाद शनि मंदिर में शनि देव की प्रतिमा पर सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए। साथ ही शनि देव को काला कपड़ा चढ़ाएं और तेल का दीपक जलाकर उसमें काले तिल डालें। साथ ही शनि चालीसा का पाठ करें। मान्यता है कि इससे नौकरी, व्यापार और धन संबंधित समस्याओं का अंत हो जाता है।
छाया दानः यदि घर में कोई रोगी है, किसी बच्चे को नजर लगी है या किसी भी प्रकार से परेशान हैं तो व्यक्ति को शनि जयंती पर छाया दान करना चाहिए। इसके लिए एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर जिस व्यक्ति को परेशानी है उसे अपना चेहरा देखना चाहिए और फिर इस तेल का दान कर देना चाहिए।