scriptVeer Tejaji Maharaj: कौन थे वीर तेजाजी महाराज, जानिए इनकी महिमा और कथा | jaat Devta Veer Tejaji Maharaj ki kahani in hindi | Patrika News
धर्म-कर्म

Veer Tejaji Maharaj: कौन थे वीर तेजाजी महाराज, जानिए इनकी महिमा और कथा

Veer Tejaji Maharaj: वीर तेजाजी को उनकी वचनबद्धा और बलिदान के कारण आज भी लाखों लोग श्रद्धा से पूजते हैं।

जयपुरDec 21, 2024 / 11:06 am

Sachin Kumar

Veer Tejaji Maharaj

Veer Tejaji Maharaj

Veer Tejaji Maharaj: वीर तेजा जी महाराज के नारों की गूंज आप सभी ने खूब सुनी होगी। खासकर वीर भूमि राजस्थान, देश के दिल मध्य प्रदेश और गुजरात में भी इनकी महिमा और अमर कथा के चर्चे होते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कौन थे वीर तेजाजी महाराज और क्यों होती है उनकी पूजा? आइए आज हम आपको बताएंगे तेजाजी की पूरी कहानी।

संबंधित खबरें

लोकदेवता वीर तेजा जी महाराज

वीर तेजाजी महाराज को लोकदेवता के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म नागौर जिले के खड़नाल गांव में एक जाट परिवार में हुआ था। तेजाजी रामकुंवरी और थिरराज के पुत्र थे। माना जाता है कि उनके पिता थिरराज गांव के मुखिया थे। तेजाजी महाराज को लेकर कथाएं चलीती है कि वह बचपन से बहुत ही साहसी और अवतारी पुरुष थे। उनको बचपन से गायों के प्रित बहुत लगाव था।

भाषक नाग को दिया वचन

धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार तेजाजी अपनी बहन पेमल को लेने के लिए उनकी ससुराल गए थे। जब वह अपनी बहन के पास पहुंचे तो पता चला कि मेणा नामक डाकू पेमल की ससुराल से गायों को लूट ले गया। इसको सुनकर तेजाजी क्रोधित हुए और अपने साथी के साथ गायों को छुड़ाने के लिए चल देते हैं। तभी रास्ते में उनके घोड़े के सामने एक भाषक नाम का नाग आकर खड़ा हो जाता है।
मान्यता है कि वह नाग वीर तेजाजी को डसना चहता था। भाषक को रास्ते में खड़ा देखकर तेजा जी ने उसे वचन दिया कि हे भाषक नाग, अभी मेरा रास्त छोड़ दो, क्योंकि मैं अभी मेणा डाकू से अपनी बहन की गायों को छुड़ाने जा रहा हूं। मैं वचन देता हूं कि गायों को छुड़ाने के बाद यहीं आऊंगा और तब मुझे डस लेना। लेकिन अभी मेरा रास्ता छोड़ दो।

वीर तेजा वचनबद्धता का प्रतीक

इसके बाद भाषक ने तेजाजी का रास्ता छोड़ दिया। इसके बाद उनका मेणा डाकू से भयंकर युद्ध हुआ। तेजाजी में डाकू को परास्त करके सभी गायों को उसके चंगुल से छुड़ा कर अपनी बहन के घर भेज दिया। लेकिन तेजाजी वचन वद्ध होने के कारण अपने घोड़े पर लहूलुहान अवस्था में भाषक नाग की बांबी पर गए।
जब भाषक ने तेजाजी को घायल अवस्था में देखा तो वह आश्चर्यचकित रह गया। उसने तेजा से कहा कि तुम्हारा पूरा शरीर घायल है ऐसे में मैं अपना दंश कहां मारूं? तब वीर तेजा ने अपनी जीभ बाहर निकालते हुए कहा कि ‘ हे भाषक नाग, मेरी जीभ पूरी तरह सुरक्षित है। आप यहां अपना दंश मारकर मुझे डस लो।

तेजादशमी पर्व

इसके बाद भाषक तेजाजी के घोड़े के पैरों से ऊपर चढ़ता है और उनकी जीभ पर अपना दंश मारता है। धार्मिक मान्यता है कि भाषक नाग वीर तेजाजी की वचनबद्धता को देखकर उनको आशीर्वाद देता है कि धरती पर किसी भी प्राणि को सर्प डसता है तो उसको तुम्हारे नाम की तांती बांधने मात्र से जहर का असर नहीं होगा। यही वजह है कि भाद्रप शुक्ल दशमी को तेजादशमी के रूप में भी मनाया जाता है।

मंदिर और पूजा स्थल

वीर तेजाजी महाराज का राजस्थान के नागौर जिले के खरनाल गांव में उनका प्रमुख मंदिर है। इसके साथ ही सहरिया, परबतसर, और अजमेर के आसपास भी उनके कई प्रसिद्ध मंदिर हैं।

लोक संस्कृति में स्थान

वीर तेजाजी के जीवन पर आधारित लोकगीत, भजन, और नृत्य राजस्थान के लोक जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। साथ ही उनकी कहानियां न्याय, बलिदान, और निडरता की प्रेरणा देती हैं।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / Veer Tejaji Maharaj: कौन थे वीर तेजाजी महाराज, जानिए इनकी महिमा और कथा

ट्रेंडिंग वीडियो