सबसे पहले तो रविवार या किसी भी अमावस्या और पूर्णिमा के दिन आदि देव भगवान सूर्य नारायण की इन समस्याओं से बचने की प्रार्थना करते हुए पूजा करें। सूर्य मंत्रों का हर रोज 108 की संख्या में जप करें। सूर्य मंत्र का जप लाल चंदन या तुलसी की माला से सूर्यादय के समय करना है।
इस सूर्य मंत्र का जप करें-
।। ऊँ हीं घृणिः सूर्य आदित्य क्लीं ऊँ।।
अब लगातार चालीस दिनों तक सूर्य पूजा, मंत्र जप के पूर्व उगते सूर्य के सामने सूर्य देव के निमित्त इन चार प्रकार के तेलों के चार दीपक जलाकर रखें। दीपकों जलाते समय नीचे दिए विशेष मंत्र का जप का उच्चारण करते रहे। प्रत्येक दीपक को जलाते वक्त अपनी समस्या से हमेशा के लिए मुक्ति पाने की कामना करें।
भगवान सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए इन पांच प्रकार के तेल के दीपक सूर्य के निमित्त जलाएं-
1- समस्त कामनाओं की पूर्ति के लिए महुए के तेल का दीपक जलावें।
2- जीवन के सभी संकटों से मुक्ति एवं पीड़ा नाश के लिए तिल के तेल का दीपक जलावें।
3- सारे शत्रुओं को पराजित करने के लिए किसी भी कडुवें तेल का दीपक जलावें।
4- आंखों की बीमारी या अन्य किसी शारीरिक बीमारी से मुक्ति के लिए गाय के घी का दीपक जलावें।
5- बार-बार आने वाली बाधाओं से मुक्ति के लिए सरसों के तेल का दीपक जलावें।
उपरोक्त दीपकों को जलाते समय इस विशेष सूर्य मंत्र का उच्चारण करते रहे।
नमो धात्रे विधात्रे च अर्यम्णे वरुणाय च।
पूष्णे भगाय मित्राय पर्जन्यायांशवे नम:।।
विधिवत सूर्य पूजा होने के बाद सूर्य देव की आरती भी श्रद्धापूर्वक करें।
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