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ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी ने चंद्र ग्रहण के बारे बताया की ग्रहण काल के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान सभी को रखना चाहिए। ग्रहण के समय जातक को अपने इष्ट देव के मंत्र का मानसिक जप करना चाहिए, इससे अद्वतीय पुण्यफल की प्राप्ति होती है। वहीं इस दौरान देवी देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श करना, पूजा पाठ करना, भोजन करना और शयन करना, आदि कर्म वर्जित होते हैं।
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ग्रहण काल में इनको करना चाहिए-
1- चन्द्रग्रहण काल में संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना पुण्य फल होता है।
2- श्रेष्ठ साधक चन्द्रग्रहण के समय उपवास पूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके गायत्री मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पीने से उसे मेधा (धारणशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त होने लगती है।
3- ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्रसहित) स्नान करना चाहिए। स्त्रियां सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती है।
4- ग्रहण पूरा होने पर चन्द्र का शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।
5- ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
6- सामान्य दिन की अपेक्षा चन्द्रग्रहण काल में किया गया पुण्यकर्म जैसे- मंत्र जप, ध्यान, दान आदि कर्म करने से एक लाख गुना पुण्य फलदायी होता है।
7- ग्रहण काल में यदि गंगाजल पास में हो तो एक करोड़ गुना पुण्यफल प्राप्त होता है।
8- ग्रहण काल में गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप विशेष रूप से करना चाहिए।
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चन्द्रग्रहण काल में न करें
1- चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक ‘अरुन्तुद’ नरक में वास करता है।
2- चन्द्रग्रहण में तीन प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।
3- ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियां डाल दी जाती है, वे पदार्थ दूषित नहीं होते।
4- ग्रहण के पूर्व पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को खिला देना चाहिए ।
5- ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।
6- ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि ग्रहण के बाद करना चाहिए।
7- ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए। बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दांत भी नहीं मांजना चाहिए।
8- ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
9- ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से ***** और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है।
10- गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए।
11- ग्रहण काल में पृथ्वी को किसी भी तरह से नहीं खोदना चाहिए।
12- ग्रहण काल या उस दिन दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का एकत्र किया हुआ सारा पुण्य नष्ट हो जाता है।
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