ये भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि के इन दिनों में अपनी राशि के अनुसार करें इन चीजों का दान, मिलेगा सुख, बढ़ेगी समृद्धि
क्यों जलाई जाती है अखंड ज्योति
अखंड ज्योति का अर्थ होता है, ऐसी ज्योति जो एक बार जल जाए तो फिर खंडित न हो। माना जाता है कि नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने से माता रानी प्रसन्न होती हैं। और माता-रानी के प्रसन्न होने का अर्थ है घर-परिवार पर मां की कृपा होना। इससे घर-परिवार में खुशहाली और समृद्धि बनी रहती है। वहीं माना यह भी जाता है कि अखंड ज्योति जलाने से मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
अखंड ज्योति के लिए करना होता है नियमों का पालन
अखंड ज्योति जलाने के कई नियम होते हैं। इसलिए माना जाता है कि अखंड ज्योत जलाते समय पूरी तरह से सावधानी बरतनी चाहिए। वैसे तो अखंड ज्योति का बुझना शुभ नहीं माना जाता। लेकिन अगर सावधानी के बावजूद अखंड ज्योति किसी कारण बुझ जाए या बार-बार अखंड ज्योति बुझे तो ऐसे में आपको करना चाहिए ये काम…
– अखंड ज्योति का बार-बार बुझना शुभ नहीं माना जाता। इसे अनिष्टकारी माना जाता है।
– लेकिन यदि पूरी सावधानी के बावजूद यदि अखंड ज्योति बुझ जाए तो, सबसे पहले मां से क्षमायाचना करें।
– अखंड ज्योति के पास ही में एक छोटा दीपक भी जला कर रखें।
– यदि अखंड ज्योति किसी कारण से बुझ जाती है तो इसी दीपक से आप अखंड ज्योति को जला सकते हैं।
– शास्त्रों में अखंड ज्योति जलाने के नियम बताए गए हैं, इनका पालन जरूर करें।
– अगर किसी कारण से ज्योति बुझ गई है तो, फिर से बाती उसी में डालकर दीपक को न लगाएं।
– दरअसल बुझने के बाद इस ज्योति को खंडित माना जाता है।
– आप जलते दीपक में ही दूसरी बाती जोड़ दें तो आपकी ज्योति खंडित नहीं मानी जाएगी।
– नवरात्रि में जलाई गई अखंड ज्योति पूरे नौ दिनों तक जलनी चाहिए।
– लेकिन अगर आप ज्योति जलाने के लिए सवा बित्ता की बाती का इस्तेमाल करेंगे तो यह कभी भी पूरे नौ दिन तक नहीं जल पाएगी।
– इसीलिए दीपक को बुझने से बचाने के लिए दूसरी बाती को पहली बाती में पहले ही जोड़ दीजिए।
– अखंड ज्योति की बाती को महत्वपूर्ण माना जाता है। इसीलिए आप पहले ही सवा हाथ का रक्षासूत्र बनाकर दीपक के बीचों-बीच रख दें, जिससे कि दीपक किसी कारण बुझ भी जाए तो आप इस बाती से दीपक को जला सकें।
– यदि नौ दिन पूरे होने और नवरात्रि खत्म होने के बाद भी दीपक जलता रहे तो, इसे फूंक माकर या किसी भी तरह से खुद नहीं बुझाना चाहिए। बल्कि इस अखंड ज्योति को स्वयं ही बुझने देना चाहिए।