इतना ही नहीं इन लोकों को रचने के बाद इसके संरक्षक और पालक के तौर पर जिम्मेदारी निभाने के लिए 14 रूप भी धरे। इस वजह से अनंत प्रतीत होने लगे और इस तिथि को उनके अनंत रूप की पूजा की जाने लगी। मान्यता है कि बांह में अनंत सूत्र बांधने से भगवान का आशीर्वाद हमेशा भक्त के साथ बना रहता है और संकट दूर रहता है। इसके लिए बांधते समय अनंत रक्षा सूत्र बांधने के मंत्र का जप जरूर करना चाहिए।
किस हाथ में बांधें अनंत रक्षा सूत्र और कौन सा मंत्र जपें
पं. कमलेश त्रिपाठी के अनुसार भगवान अनंत की पूजा के साथ ही 14 गांठ वाले रक्षा सूत्र की भी पूजा की जाती है। इसके बाद इस अनंत सूत्र को पुरुष को दाएं और महिला को बाएं हाथ में बांधना चाहिए। साथ ही इस रक्षा सूत्र को बांधते समय नीचे लिखे मंत्र को पढ़ना चाहिए ..अनन्तसंसारमहासमुद्रे मग्नान् समभ्युद्धर वासुदेव।
अनन्तरूपे विनियोजितात्मामाह्यनन्तरूपाय नमोनमस्ते।। ये भी पढ़ेंः इस डेट को लगेगा साल का दूसरा चंद्र ग्रहण, जानिए आपके शहर में सूतक मान्य है या नहीं
अनंत पूजा प्रार्थना
नमस्ते देवदेवेशे नमस्ते धरणीधर।नमस्ते सर्वनागेंद्र नमस्ते पुरुषोत्तम।।
न्यूनातिरिक्तानि परिस्फुटानि।
यानीह कर्माणि मया कृतानि।।
सर्वाणि चैतानि मम क्षमस्व।
प्रयाहि तुष्ट: पुनरागमाय।।
दाता च विष्णुर्भगवाननन्त:।
प्रतिग्रहीता च स एव विष्णु:।।
तस्मात्तवया सर्वमिदं ततं च।
प्रसीद देवेश वरान् ददस्व।।