scriptएमपी में लाखों बच्चों का 3 साल का डाटा गायब, नहीं बनेंगे जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र | Birth and death certificates will not be made in MP due to 3 years data missing | Patrika News
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एमपी में लाखों बच्चों का 3 साल का डाटा गायब, नहीं बनेंगे जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र

birth certificate एमपी में 3 साल का डाटा गायब होने से जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र नहीं बनेंगे

धारDec 27, 2024 / 08:29 pm

deepak deewan

birth certificate

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मध्यप्रदेश में लाखों बच्चोें का 3 साल का डाटा गायब हो गया है। इससे ऑनलाइन जन्म प्रमाण पत्र के साथ ही मृत्यु प्रमाण पत्र भी नहीं बन पा रहे हैं। बताया जा रहा है कि पिछले साल सर्वर में आई तकनीकी समस्या के कारण डाटा गायब हुए जोकि अब तक रिकवर नहीं हुआ है। केवल धार में ही 8 हजार बच्चों का डाटा गायब हुआ है। अधिकारी बताते हैं कि यह समस्या धार ही नहीं बल्कि प्रदेश की सभी नगर पालिका और निकायों की है। यहां ऑनलाइन जन्म और मृत्यु प्रमाण बनाने में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि कुछ दिनों तक जन्म और मृत्यु प्रमाण नहीं बन सकेंगे।
केंद्र सरकार द्वारा शासकीय दस्तावेजों में पहचान के रूप में आधार कार्ड के साथ ही जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र को भी अनिर्वाय कर दिया है। आमतौर पर यह दस्तावेज सरकारी अस्पताल , ग्राम पंचायत व नगर पालिका से आसानी से बन जाना चाहिए, लेकिन नगरीय निकायों में इन दोनों सर्टिफिकेट के लिए परिजनों को खासे चक्कर काटने पड़ रहे हैं। इसके पीछे मुख्य वजह ई नगर पालिका पोर्टल है।
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दरअसल, प्रदेश में पिछले साल ई नगर पालिका पोर्टल सर्वर के हैक होने से सभी निकायों में ऑनलाइन कामकाज प्रभावित हुआ था। इस दौरान सन 2017 से 2019 यानि तीन साल का डाटा गायब हो चुका है, जोकि अभी तक रिकवर नहीं हो सका। पालकों से मिली शिकायत के बाद जब पत्रिका ने पड़ताल की तो चौंंंका देने वाली स्थिति सामने आई। धार नगर पालिका में ही करीब 8 हजार बच्चों का डाटा गायब है। वहीं 2 हजार लोगों की मृत्यु हो जाने पर प्रमाण-पत्र नहीं जारी हो पाए हैं।
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हालांकि सूत्रों का कहना है कि यह आंकड़ा करीब 15 हजार से अधिक हैं। अधिकारी जान बूझकर संख्या कम बता रहे हैं। कई लोग नपा आकर प्रमाणपत्रों के संबंध में जानकारी ले रहे हैं, किंतु कर्मचारियों के पास बताने के लिए संतोषजनक जवाब नहीं है। खास बात यह है कि हाल ही में विधानसभा में भी यह मामला जोरशोर से उठ चुका है।
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सूत्रों के अनुसार ऑनलाइन जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र के लिए वर्तमान में रेमपेट पोर्टल चल रहा है। इसके पहले ई नगर पालिका पोर्टल था, जिसमें पिछले साल तकनीकी समस्या के कारण सभी निकाय और नगर पालिका में कामकाज प्रभावित हुआ था। अब 1 अगस्त 2017 से मार्च 2019 का डाटा नहीं मिल रहा है। इस अवधि के पहले और बाद का पूरा डाटा नए पोर्टल पर अपलोड है। ऐसी स्थिति में जिन बच्चों का जन्म साल 2017, 2018 और मार्च 2019 में हुआ है, उनके ऑनलाइन जन्म प्रमाण-पत्र नहीं बन पा रहे हैं।
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पांच सौ से ज्यादा आवेदन
नगर पालिका धार में जन्म प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए रोज 20 से 25 आवेदन आ रहे हैं। इस हिसाब से महीने भर का आंकड़ा करीब 500 तक पहुंच जाता है। वहीं मृत्यु प्रमाण-पत्र के लिए भी महीने में 10 से 15 आवेदन आते हैं। कर्मचारियों ने बताया कि भोज जिला चिकित्सालय को छोडक़र शहर के सभी प्राइवेट अस्पताल में जन्म के बाद ऑनलाइन प्रमाण-पत्र और मृत्यु पत्र धार नपा से ही तैयार होते हैं। 2007 में जिला अस्पताल की व्यवस्था अलग हो गई। इसलिए सरकारी अस्पताल से प्रमाण-पत्र बनाने में ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी पड़ रही।
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ऑफलाइन मान्य नहीं
कर्मचारियों का यह भी कहना है कि अब ऑफ लाइन दस्तावेज को मान्यता नहीं है। इसलिए अब ऑनलाइन दस्तावेज ही तैयार हो रहे हैं। इसमें डिजिटल हस्ताक्षर के साथ क्यूआर कोड आदि होते हैं। यदि गलती से भी कोई ऑफलाइन जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र देता भी है, तो यह फर्जी कहलाएगा।
इस संबंध में धार नपा के सीएमओ विकास डावर बताते हैं कि ई-नगर पालिका सर्वर से कुछ डाटा नहीं मिला है। यह मामला साधारण समेलन की बैठक में भी उठ चुका है। भोपाल में बैठे अधिकारियों से चर्चा कर इस समस्या का समाधान कराएंगे।
क्यों जरूरी है जन्म प्रमाण पत्र:-
जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र कानूनी तौर पर जरूरी होते हैं और इनका इस्तेमाल कई कामों में किया जाता है। जन्म प्रमाण पत्र किसी व्यक्ति की पहचान का सबसे पहला और अहम दस्तावेज़ है। यह बच्चे के जन्म की तारीख, जगह, लिंग, और माता-पिता के नाम जैसी ज़रूरी जानकारी रखता है। जन्म प्रमाण पत्र की मदद से ही मूल निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, और स्कूल में एडमिशन जैसी कई चीज़ें की जा सकती हैं।
क्यों जरूरी है मृत्यु प्रमाण पत्र:-
किसी व्यक्ति के निधन के बाद आखिरी अहम दस्तावेज़ होता है। यह मृत व्यक्ति की मौत के कारण का आधिकारिक दस्तावेज़ होता है। परिवार के सदस्य की मौत के बाद आवेदन करने पर निकाय से यह प्रमाण पत्र बनता है।

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