CG News: किसान के चेहरे में बिखर रही तरस्की की मुस्कान
हम बात कर रहे हैं फूलों की खेती। दरअसल आज अपने खेत में पीले गेंदे की बहार देखकर किसान के चेहरे पर तरक्की की मुस्कान बिखर रही हैं। ये नजारा कुरूद ब्लॉक के ग्राम चटौद निवासी नोमेन्द्र कुमार साहू के खेत की। किसान नोमेंद्र की कभी यहां धान की फसल लहलहाती थी। सीमित मुनाफा और ज्यादा मेहनत को लेकर नोमेन्द्र ने फसल परिवर्तन किया। धान के बदले एक एकड़ में गेंदा उगाया। खेत के चारों ओर पीले गेंदे की बहार है। इसकी खुशबू अन्य ग्रामीणों को भी प्रेरित कर रही कि परंपरागत खेती छोड़ अन्य फसलों से भी तगड़ी कमाई की जा सकती है। नोमेन्द्र प्रति एकड़ साल में ढाई लाख रु कमा रहा है। नोमेन्द्र ने बताया कि उसने अपने खेत में पानी कम लगने वाले फसल लगाने के बारे में सोचा और गेंदे के फूल की खेती करने का मन बनाया। उद्यानिकी विभाग से सलाह ली।
पहले ली जानकारी और..
विभाग ने गेंदे के फूलों में आने वाले लागत, फूलों की खेती करने की जानकारी दी। इसके बाद नोमेन्द्र ने खेत में गेंदा (किस्म कलकतिया) की खेती ड्रिप पद्धति से लेना शुरू किया। पिछले तीन साल से गेंदे की खेती कर रहा है। वर्ष 2024-25 में नोमेन्द्र साहू को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत गेंदा फूल क्षेत्र विस्तार अंतर्गत 8 हजार रूपए की अनुदान राशि दी गई। उन्होंने बताया कि इसके पहले वे धान की खेती करते थे, जिसमें लागत अधिक था और पानी का खपत भी अधिक था। साथ ही देखभाल भी अधिक करना पड़ता था।
2 महीने बाद से आमदनी शुरू
नोमेन्द्र ने बताया कि गेंदे की खेती ऐसी है, जिसमें खेती के दो माह बाद से ही आमदनी शुरू हो जाती है। उन्होंने बताया कि एक एकड़ में गेंदे की खेती में लागत 50 हजार रूपये तक आता है, जबकि एक सीजन में ढाई से तीन लाख रूपये तक गेंदे का उत्पादन हो जाता है। इस तरह एक एकड़ गेंदे की फसल में शुद्ध दो लाख रूपए की आमदनी होती है। नोमेन्द्र के फूल ना केवल धमतरी जिले में बल्कि अभनपुर, नवापारा, राजिम सहित अन्य जिलों तक जा रहा है।