कुछ कर्मचारी पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचाए। चार कर्मचारी झुंड के बीच फंस गए थे। तत्काल कर्मचारी पेड़ में चढ़कर रेंज आफिस में फोन कर मदद मांगी। आधे घंटे में टीम पहुंची इसके बाद साथी कर्मचारी को निकालने एक घंटे का रेस्क्यू किया गया। सिकासेर हाथियों के दल में करीब 55 हाथी है, जो इन दिनों दो समूह में विभक्त हो गया है।
हाथियों का एक दल जिसमें करीब 15 हाथी है, पखवाडे़भर पहले ही तौरेंगा रेंज महासमुंद की ओर बढ़ गए है, जबकि करीब 40 हाथियों का दूसरा नगरी-सिहावा, दुगली वनांचल में घूम रहा है। शनिवार को शाम 4 बजे यह हाथी का दल दक्षिण जबर्रा में पहुंच गया। यहां दुगली रेंज के जबर्रा जंगल के वनकक्ष क्रमांक 334 में वन विभाग के दो बीटगार्ड और दो फायर वाचर हाथियों की गणना करने के लिए जंगल में गए थे।
इस दौरान अचानक चिंघाड़ लगाते हुए वहां एक-एक कर अनेक हाथी पहुंच गए। हाथियों के इस दल में करीब 40 हाथी शामिल थे। इसमें शिशु हाथी भी थे। हाथियों की आहट पाकर तत्काल वन कर्मचारी अपनी जान बचाने के लिए बरगद के पेड़ में चढ़ गए।
सिकासेर हाथी दल में कई दंतैल हाथी है। हथिनी के 5-6 बच्चे भी हैं, जिस कारण यह दल सप्ताहभर से जबर्रा के जंगल में ही डेरा जमाए हुए हैं। हाथियों के आहट से जबर्रा, चारगांव, तुमबाहरा, गजकन्हार, बिलभदर, कल्लेमेटा में अलर्ट जारी किया गया है।
हाथियों की निगरानी के लिए वन विभाग के कर्मचारी भी पीछे-पीछे चल रहे हैं। रविवार को निगरानी दल में प्रभारी संदीप सोम, दल सहायक गंगाराम मंडावी, बीरेन्द्र कुमार नेताम, पवन शांडिल्य, सुरक्षा श्रमिक शत्रुघन मरकाम, परमेश्वर मरकाम आदि शामिल थे।
सिकासेर दल से बिछडे़ एक दंतैल हाथी रविवार को सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व के अरसीकन्हार रेंज के दक्षिण बिलपानी परिसर में विचरण कर रहा था। यह वनकक्ष क्रमांक-223 में घूम रहा है। इसे देखते हुए वन विभाग ने ठोठाझरिया, भीरागांव, लिलांज, अरसीकन्हार, खालगढ़, बोईरगांव, संदबाहरा, मादागिरी में अलर्ट जारी किया गया है।