देशभर में तीन तलाक का मामला गर्माया हुआ। इसी बीच मध्यप्रदेश के देवास जिले के एक मुस्लिम युवक ने तीन तलाक कहकर अपनी पत्नी को तलाक दे दिया।
यह भी पढ़ें- इंदौर में करीना कपूर के बेबी बंप फोटोशूट का ट्रेंड, लेडीज कर रही प्राउड फीलतलाक मिलने के बाद पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टीस को अपने खून से दरख्वास्त लिखी। जिसमें कहा कि न्यायालय मुझे न्याय दें, अन्यथा मुझे इस घुट-घुट कर मरने वाली जिंदगी नहीं जीना आत्महत्या की अनुमति दें। शबाना नामक महिला ने खत में साफ लिखा है कि वह ऐसे पर्सनल लॉ को नहीं मानती जो औरतों पर अत्याचार होने देता है। वे देश के सामान्य कानून के तहत न्याय की मांग कर रही हूं।
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मैं नर्स बनना चाहती थी, लेकिन मेरा पति मुझसे खेतों में काम कराना चाह रहा था। मैंने इसका विरोध किया तो मना करने पर मेरे साथ मारपीट करता था। जब मैं बेटी के साथ अपने मायके आ गई तो उसने मुझे तलाक दे दिया। मेरी चार साल की लड़की है, उसका क्या होगा। इधर पति ने कहा कि वो मुझसे झगड़े करती थी, तीन बार नोटिस देने के बाद भी नहीं आई।
देवास तहसील के दत्तोतर गांव की शबाना शाह ने अपनी पीड़ा खत में लिखी है। शबाना ने खून से खत देश के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर को लिखा है। उन्होंने पत्र में मुख्य न्यायाधीश से तीन तलाक को खत्म करने की मांग की है। कहा है कि तीन तलाक से मेरी और चार साल की बेटी की जिंदगी खराब हो रही है। उन्होंने साफ लिखा है कि न्यायालय मुझे न्याय दे, अन्यथा मैं इस घुट-घुट कर मरने वाली जिंदगी नहीं जीना चाहती, इसलिए सर्वोच्च न्यायालय मुझे आत्महत्या करने की अनुमति दे। शबाना ने खत में साफ लिखा है कि वह ऐसे मुस्लिम पर्सनल लॉ को नहीं मानती, जो औरतों पर अत्याचार होने देता है। मैं देश के सामान्य कानून के तहत न्याय की मांग कर रही हूं। शबाना ने 23 नवंबर को बीएनपी थाने में पति टीपू शाह के खिलाफ प्रताडऩा का केस दर्ज कराया था। हालांकि अब तक उसके पति टीपू शाह पर कोई पुलिस कार्रवाई नहीं हुई है।
यह भी पढ़ें-#मनमोहन_सिंह_बोले… कैलाश ने क्यों उड़ाया मजाकदेवास जिले के दत्तोतर गांव की शबाना बी ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि मैं परिवार के साथ रहना चाहती थी, लेकिन ऐसा नहीं होने दिया गया। दहेज के लिए भी मुझे प्रताडि़त किया, फिर पति ने दूसरी शादी कर ली। मेरे वजूद को खत्म करने की कोशिश की गई। मैं अपने मां-बाप पर बोझ नहीं बनना चाहती हूं। अब मैं न्याय चाहती हूं। भारत की आम नागरिक की तरह मुझे भी सुप्रीम कोर्ट से न्याय चाहिए।
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सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
विषय: तीन तलाक के संबंधी।
महोदयजी,
मैं शबाना शाह पिता जुम्मा शाह निवासी, ग्राम दत्तोतर जिला व तहसील देवास (मध्यप्रदेश) मेरा शादी मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार 25-5-2011 को टीपू शाह पिता मंगू शाह के बेटे से ग्राम महूखेड़ा जिला देवास तहसील हाटपिपलिया, मप्र में हुई थी। मेरी एक चार साल की लड़की भी है, जिसका नाम तेहजीब है। मेरे पति टीपू शाह ने मुझे शारीरिक, मानसिक रूप से परेशान करके और तीन बार तलाक-तलाक कहकर मुझे तलाक दे दिया गया। मुझे और मेरी बच्ची को छोड़ दिया और कहा कि तुम मुझे पसंद नहीं हो और उसके बाद मेरे पति टीपू शाह ने दिनांक 19-11-2016 को दूसरी शादी कर ली। अब मैं तीन तलाक के सख्त खिलाफ हूं। अब मुझे देश का जो कानून है, जो सब के लिए समान है, इस कानून के तहत न्याय मिले। पर्सनल लॉ को मैं नहीं मानती हूं, जिससे मेरी और मेरी बच्ची का भविष्य खराब हो गया। मुझे अपने देश के कानून पर पूरा विश्वास है, कि मुझे और मेरे जैसी ओर कई बहन-बेटियों को न्याय मिले। क्यों कि मेरे जैसी कई बहन-बेटियों को बच्चे पैदा करने के लिए समाज में कब तक सहना पड़ेगा। यह लड़ाई मेरी और मेरी बच्ची और ऐसे कई बच्चों की है और ऐसी कई बहनों की है। जिन्हें इस तरह से छोड़ दिया जाता है। क्या इसी तरह बेटी होने की सजा जो मुझे पर्सनल लॉ ने दी है। मैं ऐसी जिंदगी से हताश हो चुकी हूं और मैं अपने मां बाप पर बोझ नहीं बनना चाहती हूं। मैं ऐसी जिंदगी नहीं जीना चाहती हूं। जहां मौत से भी बत्तर जिंदगी हो मौत तो एक बार आती है। और ऐसी मौत मैं हर रोज मरती हूं। ऐसे पर्सनल लॉ के तीन तलाक के कानून को रद्द किया जाय और मैं अपने मां-बाप पर बोझ नहीं बनना चाहती। मैं ऐसी जिंदगी नहीं जीना चाहूती हूं। मुझे न्याय दिलाया जाए, या मुझे और मेरी बच्ची को आत्महत्या करने की इजाजत दी जाए।
यह पत्र मैं अपने खून से लिख रही हूं।
शबाना बी
परिवार में अनुमति नहीं : शबाना शाह से तलाक लेने के बाद पति टीपू शाह ने 19 नवंबर को दूसरी शादी कर ली है। पत्रिका से बातचीत में टीपू ने कहा कि पत्नी के आरोप झूठे हैं, तलाक का तीन बार नोटिस घर भेजा गया, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुई। एक बार समझौता होने पर लेने भी गया था, लेकिन वह नहीं आई। उनके घरवालों ने हमारे साथ अभद्रता की। वह नौकरी की बात करती थी, जबकि हमारे परिवार में महिलाओं को नौकरी करने की अनुमति नहीं है। उनके घर में उसकी दूसरी बहन मंजू भी तलाक लेकर बैठी हुई है। शबाना के माता-पिता नहीं चाहते कि उनकी बेटियां किसी और घर में जाएं। मैंने तलाक मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तहत पूरी कार्रवाई करके विधिवत तरीके से दिया है। मेरे पास इसके सारे दस्तावेज हैं। जहां तक मेरी बेटी का सवाल है, मैं उसे रखना चाहता हूं। उसका पालन-पोषण करना चाहता हूं। इसके लिए कोर्ट में याचिका लगाऊंगा।