अपर जिला जज का ऐतिहासिक फैसला सड़क हादसे के 23 साल पुराने मामले में अपर जिला जज अजय कुमार ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। मामला यह था कि, 31 दिसंबर 1998 को 8 बजे रात्रि में गौरीबाजार के आजाद चौक के रहने वाले रविंद्र कुमार गुप्ता बाइक से हाटा गौरी बाजार मार्ग पर घर आ रहे थे। सड़क के बीच रखे गए साइफन से टकराने से घटनास्थल पर ही उनकी मृत्यु हो गई थी। मृतक की पत्नी, पुत्र व पुत्रियों ने डीएम और उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता पर क्षतिपूर्ति का मुकदमा दाखिल किया। सिविल जज की अदालत में मुकदमा खारिज होने पर जिला जज के न्यायालय में अपील की। जिला जज ने पत्रावली की सुनवाई करते हुए अपर जिला जज अजय कुमार के न्यायालय में अंतरित कर दी।
क्षतिग्रस्त सड़कों के लिए विभाग का दायित्व दोनों पक्षों के तर्कों और साक्ष्यों के अवलोकन के बाद कोर्ट ने पाया कि लोक निर्माण विभाग ने लापरवाही व असावधानी बरतते हुए उपेक्षापूर्ण कार्य किया है। क्षतिग्रस्त सड़कों के लिए विभाग का दायित्व है कि लैंपपोस्ट व आवश्यक सूचना बोर्ड लगाए। पर विभाग ने ऐसा नहीं किया। इतना ही नहीं क्षतिग्रस्त सड़क पर साइफन रखकर लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया। राज्य सरकार ने सुरक्षा एवं सतर्कता के अपने दायित्व का निर्वहन नहीं किया है। इससे 34 वर्षीय युवक की असमय मृत्यु हो गई। इसलिए विभाग दोषी है।
एक माह में क्षतिपूर्ति दें डीएम-अधिशासी अभियंता कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार के कलक्टर व लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता को उत्तरदाई ठहराया जाता है। अदालत ने दोनों अधिकारियों को मुकदमा दाखिल करने की तिथि से 7 फीसद ब्याज के साथ चार लाख रुपए की क्षतिपूर्ति एक माह के अंदर मृतक के परिजनों को देने का आदेश दिया है।