‘मैन वर्सेज वाइल्ड’ दिखेंगे मोदी
वन्य जीव संरक्षण की मुहिम भी देश में उत्तराखंड से शुरू हुई, जब 1935 में लुप्तप्राय बंगाल बाघ संरक्षण के लिए ‘हैंली नेशनल पार्क’ (जिसे अब ‘जिम कार्बेट पार्क’ के नाम से जाना जाता है) की स्थापना की गई। आज जिम कार्बेट पार्क का जिक्र इसलिए जरूरी है क्योंकि आज विश्व के 180 देशों के लोग जिम कार्बेट पार्क में फिल्माया गया ‘मैन वर्सेज वाइल्ड’ का विशेष एपिसोड देखने वाले है। इस एपिसोड में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नजर आने वाले हैं। आइए हम जानते है इसी ‘जिम कार्बेट पार्क’ की क्या-क्या खासियत है?…
अंग्रेजों के जमाने में हुई थी स्थापना
जिम कार्बेट राष्ट्रीय पार्क उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले के रामनगर नगर के पास स्थित है। अंग्रेजी हुकूमत के समय इसकी स्थापना की गई थी। 1935 में रामगंगा के अंचल में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए इसकी स्थापना की गई। तत्कालीन गवर्नर मालकम हेली के नाम पर इस पार्क का नाम ‘हेली नेशनल पार्क’ रखा गया। आजादी के बाद ‘रामगंगा नेशनल पार्क’ के नाम से इसे जाना जाने लगा। इस पार्क का नाम तब प्रचलित हुआ जब एक शिकारी के नाम पर इसका नाम जिम कॉर्बेट पार्क रखा गया…
ब्रिटिश आर्मी के ‘जिम’ जिन्होंने लोगों की रक्षा के लिए उठाए हथियार
जिम कार्बेट एक महान शिकारी थे। जिनका जन्म 25 जुलाई 1875 में हुआ। बहुत से काम करने के बाद जिम ने ब्रिटिश सेना में काम किया। अंत में ट्रान्सपोर्ट अधिकारी तक बने परन्तु वन्य जीव उन्हें हमेशा ही आकर्षित करते रहे। खास बात यह है कि उन्होंने कभी भी अपने शौक के लिए शिकार ना करके आम लोगों की रक्षा करने के लिए ही जानवरों पर बंदूक तानी। जिम कार्बेट ने कई आदमखोर शेरों से कुमाऊँ के लोगों की जान बचाई थी। गढ़वाल में भी एक शेर ने कई लोगों की जानें ली थी, जिम ने ही इस शेर को मार कर लोगों को बचाया था । जिम कार्बेट ने ‘द मैन ईटर आफ रुद्र प्रयाग’ किताब भी लिखी। भारत सरकार ने जिम कार्बेट की लोकप्रियता और उनके योगदान को समझा और सन् 1947 के बाद से रामगंगा नेशनल पार्क ‘जिम कार्बेट नेशनल पार्क’ के नाम से जाना जाने लगा। अब जानते है क्यों मैन वर्सेज वाइल्ड के लिए जिम कार्बेट नेशनल पार्क को चुना गया…
जिम कार्बेट पार्क के चयन के पीछे मोदी का प्लान!
मैन वर्सेज वाइल्ड शो के नायक ‘बेयर ग्रिल्स’ विषम परिस्थितियों में जीवित रहने के गुर सिखाते है। वन्य जीवों की दृष्टि से भारत में ‘जिम कार्बेट नेशनल पार्क’ को सबसे उपयुक्त माना गया । यहां फिल्माए गए एपिसोड में पीएम नरेंद्र मोदी भी ‘बेयर ग्रिल्स’ के साथ दिखने वाले है। इसके पीछे पीएम मोदी का विश्व पटल पर ‘जिम कार्बेट नेशनल पार्क’ को पहचान दिलाने का प्लान भी हो सकता है। इससे विश्व भर के पर्यटक उत्तराखंड आने को प्रेरित होंगे। बता दें कि उत्तराखंड की भूमि से पीएम मोदी का विशेष लगाव है। 2013 में केदारनाथ में आई भीषण के बाद सब कुछ तबाह हो गया था। 2014 में सरकार में आने के बाद पीएम मोदी ने केदारनाथ के कायाकल्प का काम खुद की निगरानी में करवाया। आज भी वह समय-समय पर केदारनाथ जाते रहते हैं। अब फिर से जिम कार्बेट पार्क की ओर आते है…
यह जानवर पाए जाते है…
यहाँ पर शेर, हाथी, भालू, बाघ, सुअर, हिरन, चीतल, साँभर, पांडा, काकड़, नीलगाय, घुरल और चीता आदि ‘वन्य प्राणी’ अधिक संख्या में पाए जाते हैं। इसी तरह इसके वन क्षेत्र में अजगर व अन्य प्रजातियों के साँप भी रहते हैं। इस पार्क में लगभग 600 प्रकार की पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है।
वनस्पती की दृष्टि से भी अहम…
यह पार्क जंगल का 73 प्रतिशत हिस्सा घेरता है। इस वन क्षेत्र में मुख्य रूप से साल, हल्दु, पीपल, रोहिनी और आम के पेड़ होते हैं। पार्क के 10 प्रतिशत हिस्से में घास के मैदान हैं। यहाँ 110 पेड़ की पप्रजातियाँ, 50 स्तनधारियों की, 580 पक्षियों प्रजातियां और 25 सरीसृप प्रजातियां पाई जाती है। कोर्बेट टाइगर रिजर्व के चयनित क्षेत्रों में ही पर्यटन गतिविधि को अनुमति दी जाती है। जिससे बिना वन्य जीवों को नुकसान पहुंचाए पर्यटक विविध वन्यजीव देख सकें।
गांधी परिवार के लिए भी प्रिय रहा है जिम कार्बेट पार्क
पार्क में काम करने वाले टूरिस्ट गाइड के अनुसार पहले जिम कार्बेट नेशनल पार्क में गांधी परिवार के लोग समय गुजारने आया-जाया करते थे। पार्क के बीचों बीच बंगला है, इसके आस-पास तारबंदी है। यह वीवीआईपी बंगला किसी भी समय गांधी परिवार के सदस्यों के ठहरने के लिए अन्य सुविधाओं के साथ तैयार है। इसमें ज्यादातर प्रियंका गांधी दोनों बच्चे व पति राबर्ट वाड्रा के साथ आना पसंद करती थीं।