इसके लिए पुराने भवन को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया है। इसके बाद केन्द्रीय मंत्री, मण्डल रेल प्रबंधक व सहायक मण्डल रेल प्रबंधक के साथ दो बार मौका स्थिति का अवलोकन भी कर चुके हैं, लेकिन प्लेटफॉर्म का नक्शा अप्रुड नहीं होने के कारण मामला अटका हुआ है। निर्माण कार्य बंद होने से स्टेशन का सौन्दर्यकरण भी बिगड़ता जा रहा है, लेकिन किसी का भी निर्माण कार्य को शुरू कराए जाने की ओर कोई ध्यान नहीं है। ऐसे में अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। शहर के सिकंदरा रोड बस स्टैण्ड के सामने स्थित द्वितीय प्रवेश द्वार(प्लेटफॉर्म छह) से ही यात्रियों की आवाजाही अधिक है।
क्योंकि मेहंदीपुर बालाजी दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु ट्रेन से उतर कर ही सीधे प्लेटफॉर्म छह से निकल कर बस स्टैण्ड पहुंचते हैं। जबकि आगरा से जयपुर के बीच संचालित अधिकांश ट्रेनें भी प्लेटफॉर्म छह से ही गुजरती हैं। इस रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन करीब 8 हजार यात्री आवाजाही करते हैं। गत दिनों ट्रेन के ठहराव के लिए झण्डी दिखाने आए सांसद हरीश चन्द मीणा से भी शहर के लोगों ने प्लेटफॉर्म छह के द्वितीय प्रवेश द्वार पर बंद पड़े निर्माण कार्य को चालू कराए जाने की मांग की थी, लेकिन इसके बाद भी अभी तक स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है।
यात्री किसे बताएं अपनी पीड़ा
यात्रियों का कहना है कि कई बार स्थानीय रेल प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों को वस्तुस्थिति से अवगत करा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। आखिर अब वे अपनी पीड़ा किसे बताए। क्योंकि जयपुर-भरतपुर रेल मार्ग पर संचालित होने वाली कुछ ट्रेनों का संचालन भी प्लेटफार्म छह से होता है। इसमें ऋषिकेश-बांदीकुई, डीएमयू, आगरा फोर्ट एवं मरुधर एक्सप्रेस सहित कुछ ट्रेनें प्लेेटफार्म छह से गुजरती हैं। प्लेटफार्म पर शौचालय एवं सुलभ कॉम्पैक्स की कमी भी अखर रही है। छाया के लिए टीन शैड एवं कुर्सियां भी यात्री भार को देखते हुए अपर्याप्त हैं। ऐसे में यात्रियों को पड़ों की छांव में बैठ कर या फिर दुकानों पर बैठ कर समय बिताना पड़ता है।
इसके अलावा रेलवे की ओर से पुराने भवन को तोडऩे के बाद अस्थाई टिकिट खिड़की संचालित कर रखी है। इस टिकिट खिड़की पर भी कोई सुविधा नहीं है। यात्रियों को ट्रेन देरी से आने पर इंतजार करने के लिए तक कोई जगह नहीं है। प्लेटफार्म पर आंवारा जानवर विचरण कर रहे हैं। इससे यात्रियों के चोटिल होने का अंदेशा बना रहता है। (ए.सं.)