वहीं परिषद परिसर के बाहर आतिशबाजी कर कार्यकर्ताओं व समर्थकों ने खुशी का इजहार किया। पदभार ग्रहण के दौरान सभापति जायसवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फिर से मौका मिला है। निश्चित ही यह जनता की जीत है। पार्टी की जीत है। उन्होंने कहा कि नगरपरिषद क्षेत्र के जो कार्य अधूरे रह गए हैं, वो पूरे कराए जाएंगे। विकास कार्यों को गति देकर जनता का हक निश्चित समय में पूरा किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के बुधवार को आदेश के बाद सभापति जायसवाल को फिर से मौका मिला है। गुरुवार को मुरली मनोहर बनाम राज्य सरकार व अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार मुरली मनोहर की ओर से प्रस्तुत की गई स्पेशल लीव पिटीशन निरस्त कर दी गई थी। साथ ही प्रस्तुत सभी प्रार्थना पत्र भी निरस्त कर दिए गए। ऐसे में राजस्थान उच्च न्यायालय का निर्णय ही लागू रहेगा।
गौरतलब है कि भाजपा के राजकुमार जायसवाल के खिलाफ गत दिसम्बर में जिला कलक्टर को अविश्वास प्रस्ताव सौंपा गया। 3 जनवरी को अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ था। 30 मत प्रस्ताव के पक्ष में आए थे, जिनमें भाजपा, कांग्रेस व निर्दलीय सभी पार्षद शामिल थे।
गत 14 मार्च को कांग्रेस के पार्षद मुरलीमनोहर शर्मा सर्वदलीय पार्षदों के समर्थन से निर्विरोध सभापति चुने गए। 17 मई को राजस्थान हाइकोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव को अवैध मानते हुए रद्द कर दिया था। साथ ही सांसद और विधायक को मत देने का अधिकार माना था। इसके बाद मुरली मनोहर ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर स्टे ले लिया। तब से मुरली मनोहर सभापति के पद को संभाल रहे थे।