CG Naxal News: L शेप में कैंपों की स्थापना का बड़ा रोल
इसके साथ ही आठ नक्सलियों के शवों को भी बरामद किया गया है। पुलिस अधिकारियों को मिल रही सटीक सूचना इस सफलता का परिणाम है। साथ ही इलाके में एल शेप में कैंपों की स्थापना का भी बड़ा रोल है। वहीं सूत्र बता रहे हैं कि नक्सली नेता रणधीर किसी बड़े समझौते के लिए आया हुआ था। वह एक हते से इन्हीं गांव में स्वच्छन्द विचरण कर रहा था और गांव के लोगों से रायशुमारी कर रहा था।
(CG Naxal News) उसे इस बात की कतई भनक नहीं थी कि उसके सुरक्षित और मजबूत जोन में जवान प्रहार करने का प्लान कर चुके हैं। जिस रणनीति के साथ पुलिस अधिकारियों ने घेरा वह एल व्यूह को दर्शा रहा है।
इस एल को तैयार करने में सरकार को सालों साल बीत गए। यह एल व्यूह अब नक्सलियों की कमर तोड़ रहा है। नक्सलियों ने जब भी सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाया तो उन्होंने वी और यू व्यूह तैयार किए। झीरम कांड के लिए भी यू आकार का व्यूह निर्माण किया।
टेकेलगुड़म मुठभेड़ को रणधीर ने ही लीड किया था
CG Naxal News: बीजापुर के टेकलगुडम मुठभेड़ को रणधीर ने ही लीड किया था। 2021 में हुई इस बड़ी वारदात में 23 जवान शहीद हुए थे। इस वारदात में एक जवान को अगवा भी किया गया था। इस जवान का नाम राकेशवर सिंह मनहास था। सामाजिक संगठनों की पहल के बाद छोड़ा गया था। जब सामाजिक कार्यकर्ता टेकलगुडम पहुंचे तो वह खाट पर बैठा था। वह भी पीठ करके। तमाम बातचीत के बाद राकेश्वर मनहास को छोड़ा था। टेकलगुड़म मुठभेड़ में एक महिला नक्सली मनीला भी मौजूद थी। इन दोनों ने ही मुठभेड़ को लीड करते हुए फोर्स को नुकसान पहुंचाया था।
एके 47 से लैस होकर चलने वाला कौन था रणधीर?
मचर्ला एसोबु उर्फ रणदेव, उर्फ येलन्ना जगन, श्रीमननारायण और रणधीर पिता चंद्रैया नाम से चर्चित रणधीर 1987 में नक्सल संगठन में शामिल हुआ था। सीपीआई पार्टी में डीकेएसजेडसी पद पर पदस्थ था। वह महज पांचवी पांस था। तेलांगना के टेकुलगुड़ेम का रहने वाला है।
(CG Naxal News) वह गांव में रहकर खेती बाड़ी करता था और चर्च का पादरी था। उसकी पत्नी का नाम लक्ष्मी है वह वेंकटाद्रिपेटा की रहने वाली है। खूफिया विभाग से जुड़े सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वह एके-47 लेकर चलता था। उसकी सुरक्षा में कई गार्ड भी रहते थे।
आयरन हिल को कवर करने में सरकार को बहाना पड़ा पसीना
CG Naxal News: विकास का रास्ता पहाड़ों के नीचे से हो कर पहाड़ों की चोटी तक पहुंच रहा है। तीन वर्षो में आयरन ओर के पहाड़ को पूरी तरह से घेर दिया गया है। आरन हिल के नीचे बीजापुर जिले के गांव आते है। पहाड़ के नीचे कैंपों की स्थापाना इस तरह से की गई है। पालनार कैंप लगभग दो वर्ष पहले स्थापित हुआ है, कावाड़ गांव एक वर्ष पहले मुतबेंडी में कैंप, पीडिया कैंप नही है। पीडिय़ा से सिलगेर की दूरी महज पांच किमी है यहां दो कैंपों की स्थापना हुई है। यहां से पह़ाड़ चढेंगे तो हिरौली के डोकापारा पहुंचेेगे यहां भी कैंप की स्थापना हो चुकी है। पहाड़ को कवर करने के लिए एल आकार में कैंपों की स्थापना की गई है। इतने कैंपों की बीच पहाड़ों की नीचे और उपर बसे गांव पर नजर डालते हैं।
(CG Naxal News) पुरंगेल, गमफुर, लावा, इंड्री तामोड़ी जैसी पंचायत स्थापित है। आयरन ओर के पहाड़ को कवर करने के लिए छह कैंप स्थापित करने पड़े है।