मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रिपोर्ट के अनुसार शुद्ध हवा के लिहाज से दमोह मध्यप्रदेश में दूसरे स्थान पर रहा है। प्रदेश में छतरपुर की रैंकिंग 8वीं है, यानि यहां की हवा में भी प्रदूषण कम है। छतरपुर जिले में पीएम-10 (पार्टिकुलेट मैटर) का वार्षिक औसत 57.37 है, जोकि संतोषजनक स्तर का है। इस स्तर के प्रदूषण में सामान्यत सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करने का खतरा कम रहता है।
सागर संभाग के निवाड़ी और टीकमगढ़ जैसे अन्य जिलों की भी हवा की गुणवत्ता संतोषजनक पाई गई है। टीकमगढ़ की रैंकिंग 7 और निवाड़ी की रैंकिंग 9 रही है।
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पीएम-10 कण हवा में छोटे होते हैं और आसानी से फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं, जिससे अस्थमा, लंग्स इंफेक्शन, और हृदय रोगों जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता है। यही कारण है कि वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए समय-समय पर सरकार और नागरिक दोनों को सतर्क रहने की आवश्यकता जताई जाती है।
ग्रीन स्पेस बढ़ाने की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि नगर पालिकाओं को सड़कों पर पानी का छिडक़ाव करवाना चाहिए, जिससे धूल के कण हवा में न उड़े और प्रदूषण का स्तर कम रहे। खासकर गंदगी और धूल-मिट्टी से भरी सडक़ों के कारण प्रदूषण बढ़ सकता है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल को बढ़ावा देने, वाहन प्रदूषण को नियंत्रित करने और ग्रीन स्पेस बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही आतिशबाजी जैसे प्रदूषण को बढ़ाने वाले तत्वों पर नियंत्रण पाने की भी जरूरत है।
क्या है पीएम-10 और पीएम-2.5
पीएम-10 (पार्टिकुलेट मैटर) 10 माइक्रोमीटर से कम आकार के धूल के कण होते हैं जो सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं और सांस की विभिन्न बीमारियों का कारण बन सकते हैं। पीएम-2.5 छोटे कण होते हैं जो शरीर में गहरे तक पहुंच सकते हैं और दिल की बीमारियों सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकते हैं।
हवा की गुणवत्ता के मानक
● पीएम 10 का 50 से कम होना अच्छे स्तर को दर्शाता है।
● 51 से 100 के बीच का संतोषजनक स्तर माना जाता है।
● अगर 100 से ऊपर होता है, तो यह हवा को अस्वस्थ बनाता है।