मतगणना कक्ष में क्या-क्या हुआ
जिस तरह हटा विधानसभा के मतगणना कक्ष को दमोह, जबेरा, पथरिया से विपरीत बनाया गया था, उस तरह इसका परिणाम भी कुछ नजर आया। यहां पहले राउंड की मतगणना से आखिरी राउंड तक भाजपा बढ़त बनाए रखी। बढ़त के बाद भी भाजपा प्रत्याशी इवीएम पर पैनी नजर बनाए रखे। कभी दाएं से तो कभी बाएं से चश्मा उठा-उठाकर नजरें घुमाते नजर आए। कांग्रेस प्रत्याशी के चेहरे पर मायूसी साफ झलकती नजर आई। बीच में तो उन्होंने हार भी मान ली थी। रोचक बात यह रही कि निर्दलीय प्रत्याशी प्रदीप खटीक अपनी हार पर भी ज्यादा निराश नजर नहीं आए। वह कांग्रेस के मतों पर नजर बनाए रखे। दिनभर यहां कम ही हलचल रही, लेकिन नतीजा आते ही सभी खुशी से झूम उठे। इस दौरान कार्यकर्ताओं में भी काफी उत्साह देखने मिला।
एंटी इंक्मबेंसी का नहीं दिखा असर
प्रदेश में 15 साल से काविज भाजपा सरकार के विरोध में लहर होने की बात जरूर दम दिए हो, लेकिन हटा से आए चौकाने वाले परिणामों ने एंटी इंकम्बेंसी का असर भी बेअसर कर दिया है। यहंां से पीएल तंतुवाय को न सिर्फ जतता से बल्कि कर्मचारियों ने भी अच्छे मत दिए। हटा से आ रहे रुझान में भी बीजेपी की जीत मानी जा रही थी। हालांकि, इसे कांग्रेस नेता के बागी होकर चुनाव लडऩा माना जा रहा था, लेकिन एकतरफा जीत ने सभी दावों को खोखला करके रख दिया। हटा में कयास यह भी लगाए जा रहे थे कि मौजूदा विधायक उमादेवी खटीक के समर्थक नाराज होकर भाजपा के खिलाफ जा सकते है, लेकिन इसका भी कोई असर देखने नहीं िमिला है। हटा से पीएल तंतुवाय की पत्नी रामकलि तंतुवाय का राजनीति में सक्रिय कार्यकर्ता होना भी जीत का कारण है।
ये है हार का कारण
भाजपा से करारी हार खाने के बाद अब कांग्रेस प्रत्याशी हरिशंकर चौधरी समीक्षा की बात कर रहे है। इस हार के मुख्य कारणों की बात की जाए तो हटा से 2013 में चुनाव लडऩे के बाद हरिशंकर चौधरी का हटा से लंबे समय के लिए गायब हो जाना है। इसके लिए जब वह 2018 में वापस कांग्रेस के प्रत्याशी बने तो लोग उन्हें बतौर बाहरी प्रत्याशी मान लिए ओर नकार दिया। उनकी हार का एक और मुख्य कारण कांग्रेस नेता प्रदीप खटीक के बागी होकर निर्दलीय चुनाव लडऩा माना जा रहा है। जिससे कांग्रेस में बिखराव की स्थिति बनती है और भाजपा को इसका सीधा फायदा मिला। प्रदीप को भी हटा से 10011 मत मिले है। जिसने भी कांग्रेस के मत को प्रभावित किया है।क्या कहते है जीते-हारे प्रत्याशी
हारे प्रत्याशी कांग्रेस के हरिशंकर चौधरी कहते है कि जनता ने २०१३ के चुनाव में मुझे आशीर्वाद दिया था। कुछ अंतर से हार हुई थी, इसीलिए दोबारा भरोसा था। अब फिर जनता के बीच पहुंचकर खामियों को पूरा करने का प्रयास करूंगा। जनता के बीच बना रहूंगा। जीत नहीं हुई तो कोई बात नहीं विपक्ष का काम करूंगा।
विजयी प्रत्याशी भाजपा के पीएल तंतुवाय कहते है कि हटा विधानसभा क्षेत्र की जनता ने उन्हें जो स्नेह दिया है। वह जाया नहीं होने दिया जाएगा। हटा में जलसंकट की समस्या को दूर करने भरकस प्रयास किया जाएगा। हटा के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। इसके लिए मैं संकल्पित हूं।
पत्नी से बढ़ाया हौसला
उमादेवी खटीक की टिकट कटने के बाद 30 सितंबर को रिटायर हुए पीएल तंतुवाय को टिकट मिली। इनके चुनाव की कमान इनकी पत्नी रामकली तंतुवाय ने संभाली जो स्वयं अपने लिए टिकट की मांग कर रहीं थीं। इसके अलावा हटा के रिटायर कर्मचारियों का एक वर्ग पीएल तंतुवाय के समर्थन में काम कर रहा था। संगठन ने भी जोर लगाया। टिकट वितरण का असंतोष मतदान के समय तक खत्म होने के बाद जो टिकट निर्दलीय के खाते में जा रही थीं, वह भाजपा के खाते में आ गई।
इन कामों को प्राथमिकता
हटा विधानसभा में बहुप्रतिक्षित जल आवर्धन योजना पर काम हो तो बात बने। सदियों से जल संकट भोग रहे रनेह को पानी मिले तो बात बने। रनेह को उपतहसील का दर्जा के साथ पंचमनगर का पानी मिले तो बात बनेगी। इस विधानसभा में रोजगार के अवसर की आस यहां के युवाओं को बैंक मैनेजर से रिटायर हुए पीएल तंतुवाय से हटा के युवाओं को आस है कि बैंक मैनेजर यदि रोजगार के अवसर दिलाने का प्रबंधन करने में कामयाब होते हैं तो बात बनती है।