कुंडलुपर मंदिर में हर बीम पर देखने मिलेगा आचार्यों का इतिहास
कुंडलपुर में बड़ेबाबा के विशाल और भव्य मंदिर को देखने देश के साथ-साथ विदेश से भी लोग पहुंचते हैं। जबकि अभी मंदिर का काम पूरा नहीं हुआ हैं। मंदिर में 108 मुख्य बीम तैयार हुई हैं, जिनमें जैन धर्म को अंतिम तीर्थंकर महावीर के काल से अब तक लोगों के बीच जीवित रखने वाले आचार्य, मुनियों का वर्णन होगा। उनके प्रमुख कार्यों को भी इसमें उल्लेखित किया जाएगा। सभी मुख्य बीम पर आचार्यों का अनसुना इतिहास लोगों को पढऩे और देखने मिलेगा। इन बीम पर आचार्य की मुनि चर्या, तप सहित अन्य मुद्राओं में खड़गासन और पदमासन कलाकृतियां देखने मिलती हैं। जिस पर अभी लेखांकन का काम शेष हैं। जैनाचार्य कुंदकुंद स्वामी से लेकर आचार्य, शांतिसागर, ज्ञानसागर तक का वर्णन यहां किया जाएगा।
भूत, वर्तमान और भविष्य को जोड़ेगा मंदिर
आचार्य विद्यासागर की दूरस्थ सोच और विचार मंदिर निर्माण में अब नजर आने लगे हैं। मंदिर का निर्माण पूरा होते ही इसमें भूतकाल से लेकर वर्तमान होते हुए भविष्य तक की परिकल्पना देखने मिलेगी। यहां पिलर में जैनाचार्यों के इतिहास के साथ तीर्थंकर के जीवनकाल के दृश्य व अन्य अनदेखी व अनसुनी कलाकृतियां देखने मिलेगी। जो वर्तमान से शुरू होकर भविष्य तक जिनागम को लोगों से जोड़े रखेगी।