हारानी की बात तो ये है कि, चुनावी ड्यूटी में तैनात रहने के दौरान संक्रमण के शिकार हुए इन शिक्षकों की सुध जिला प्रशासन की ओर से अब तक नहीं ली गई। यहां तक कि, इनमें से अधिकतर को तो, अस्पतालों में बेड तक नहीं मिल सके हैं। मजबूरन कई शिक्षकों स्वयं के जरियों से जबलपुर और सागर तक जाकर इलाज कराना पड़ा है।
अध्यापक संगठन के प्रांताध्यक्ष आरिफ अंजुम का आरोप है कि, जिले में अब तक 45 शिक्षकों का कोरोना से निधन हो चुका है, जिसमें चुनाव ड्यूटी में सबसे ज्यादा शिक्षकाें की मौत हुई। ऐसे शिक्षकों को कोरोना योद्धा के तहत 50 लाख रुपए की राशि और अनुकंपा नीति का लाभ देना चाहिए। डीईओ एचएन नेमा के मुताबिक- 43 शिक्षकों की कोरोना से मौत की जानकारी मिली है। चुनाव ड्यूटी में संक्रमित होने से मौत का कोई रिकार्ड नहीं है।
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[typography_font:14pt;” >ये 8 शिक्षक भी हुए थे ड्यूटी संक्रमित, मौत
प्राइमरी स्कूल बरी कनौरा में पदस्थ शिक्षक दिनेश प्रधान की भी कोरोना की पुष्टि होने के बाद मौत हो गई। इनकी ड्यूटी मतदान केंद्र-133 पर लगाई गई थी। इनके अलावा, शिक्षक बृजलाल अहिरवार, रशीद खान, ज्ञानेश्वर सिंह ठाकुर, आनंदीलाल करपेती, डालचंद्र साहू और हरिचरण तिवारी ने चुनावी प्रशिक्षण लिया था। वहीं, ये सब संक्रमण की चपेट में आए थे। इसके बाद इलाज के अभाव में इन सभी ने भी दम तोड़ दिया। शिक्षक सीताराम ठाकुर की ड्यूटी चुनाव सामग्री वितरण में लगी थी। इस बीच ये भी संक्रमित हो गए थे, बाद में इनकी भी मौत हो गई।
उपचुनाव में सिर्फ अधिकारी-कर्मचारी ही नहीं बल्कि ये नेता भी गंवा चुके हैं जान
दमोह उपचुनाव को जहां एक तरफ चुनाव आयोग, सरकार और जिला प्रशासन ने गंभीरता से न लेने का खामियाजा न सिर्फ चुनावी ड्यूटी में तैनात अधिकारी-कर्मचारियों को भुगतना पड़ा, बल्कि सैकड़ों की संख्या में आमजन और मध्य प्रदेश के नेताओं को भी भुगतना पड़ा है। इनमें पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर, महिला कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष मांडवी चौहान, पूर्व बीजेपी जिलाध्यक्ष दमोह देवनारायण श्रीवास्तव की मौत हो चुकी है। ये सभी पार्टी की तरफ से प्रचार और मैनेजमेंट देख रहे थे। इसके अलावा कांग्रेस-बीजेपी के 125 पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी चुनावी प्रचार के दौरान संक्रमण का शिकार हुए थे। फिलहाल, इन सभी का इलाज जारी है।
कलेक्टर को अब तक कोई सूचना नहीं
वहीं, जिले में कोरोना संक्रमण से जान गवाने वालों के इतने मामले सामने आने के बाद दमोह कलेक्टर तरुण राठी ने मीडिया को जवाब देते हुए कहा कि, चुनाव ड्यूटी के दौरान शिक्षकों के संक्रमित होने और मौतों से जुड़ी कोई जानकारी अब तक मेरे पास नहीं आई है, जो भी आवेदन या प्रतिवेदन आएंगे, सत्यापन कराकर इसकी सूचना शासन को दी जाएगी।
नहीं मिला इलाज, चली गई मरीज की जान – video