जांच जारी सूत्रों की मानें तो जिस निर्धारित स्थान पर हथिनी ( Pregnant Elephant ) घायल हुई और उसकी मौत की वजह बनने वाले विस्फोटक ( Explosive ) के जिम्मेदार व्यक्ति की खोजबीन जारी है। फिलहाल आरोप है कि गर्भवती हथिनी ने विस्फोटकों से भरा एक अनानास ( Pineapple ) खा लिया था, जिसमें विस्फोट होने के बाद वो गंभीर रूप से घायल हो गई और बाद में उसने दम तोड़ दिया।
23 मई की घटना सूत्रों के मुताबिक बीते 23 मई को वन अधिकारियों को पश्चिमी घाट के मन्नारकड क्षेत्र में पोट्टियारा जंगल की सीमा पर अंबालप्पारा के पास एक हथिनी की मौजूदगी की जानकारी मिली। मौके पर पहुंचने के बाद अधिकारियों ने देखा कि हथिनी का मुंह चोटिल था।
संभव नहीं था इलाज इसके दो दिन बाद 25 मई को हथिनी को थेय्यामकुंड इलाके की एक नदी में संभवता अपने घाव को ठंडा रखने के लिए एक नदी में देखा गया। उसकी जांच करने वाले एक पशु चिकित्सक ने अधिकारियों को बताया कि वह गंभीर रूप से घायल थी, इसलिए ना तो उसे बेहोश किया जा सकता था और ना ही इलाज।
पोस्ट मार्टम में बड़ा खुलासा तब वन विभाग इस नतीजे पर पहुंचा कि यह चोट कम से कम एक सप्ताह पुरानी है। इसके बाद यह फैसला लिया गया कि उस हथिनी को प्रशिक्षित हाथियों (कुमकी) की मदद से बाहर निकाला जाए, लेकिन इससे पहले उसकी मौत हो गई। हथिनी की मौत उस वक्त ज्यादा वीभत्स नजर आने लगी जब उसका पोस्ट मार्टम किया गया। इस दौरान पता चला कि वह गर्भवती थी।
फेसबुक पोस्ट हुई वायरस हथिनी के बचाव के लिए रैपिड रिस्पॉन्स टीम में शामिल वन विभाग में अधिकारी मोहन कृष्णन को उसके गर्भवती होने की जानकारी का पता चलने के बाद बहुत दुख हुआ और उन्होंने इस घटना की जानकारी फेसबुक पर लिखी। यह पोस्ट वायरल हो गई थी।
विस्फोटकों के इस्तेमाल की कहानी अधिकारियों के मुताबिक कृष्णन ने अपनी पोस्ट में यह नहीं कहा है कि हथिनी को जानबूझकर विस्फोटकों से भरा हुआ अनानास खिलाया गया। जबकि उन्होंने अपनी पोस्ट में जंगली जानवरों को दूर रखने के लिए लोगों द्वारा विस्फोटकों का इस्तेमाल किए जाने के मामले को प्रमुखता से उठाया है।
क्या हथिनी को खिलाया गया विस्फोटक अधिकारियों की मानें तो इस बात की पूरी संभावना है कि वह हथिनी जंगली सुअरों को मारने के लिए बिछाए गए जाल में फंस गई हो। नाम ना छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि जंगली इलाकों में कई बार ऐसी खबरें सामने आई हैं कि लोग सुअरों और अन्य जंगली जानवरों को पकड़ने और मारने के लिए पटाखों और देसी बमों का इस्तेमाल करते हैं। हो सकता है कि हथिनी ने गलती से इसे खा लिया हो।
घटनास्थल ढूंढने में चुनौती वहीं, एक अन्य अधिकारी ने कहा कि एक हाथी एक दिन में 100 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है, इसलिए हो सकता है कि जिस स्थान पर वह घायल हुई हो उससे काफी दूर पहुंच गई हो। जब तक कोई संकेत ना मिले तब तक उस स्थान को ढूंढना मुश्किल है।
जंगली जानवरों के लिए विस्फोटकों का इस्तेमाल इलाके में डिप्टी रेंज ऑफिसर शशि कुमार ने कहा कि जंगली सुअरों के शिकार और मारने के लिए विस्फोटकों के इस्तेमाल की घटनाएं पहले भी यहां पर कई बार सामने आई हैं। लेकिन जब से ऐसी घटनाओं पर मुकदमा दर्ज करना शुरू किया गया है, तब से इस डिविजन में शायद ही ऐसा कोई केस सामने आया हो।