बाबा ने कहा था कि उस युवती का फिगर तुमसे अच्छा है। हम तुम्हे एेसी जड़ी-बूटी देंगे, जिससे तुम्हारा फिगर भी अच्छा हो जाएगा। तुम्हारा जो पुत्र होगा, वह हमारे जैसा होगा। उन्होंने अपने कक्ष में लगे फोटो की ओर इशारा करते हुए कहा था कि यह देखो हमारा जवानी का फोटो। अब तो हम बूढ़े हो गए हैं। पहले जैसे जवान होते तो बात अलग थी, लेकिन तुम चिंता मत करो। हमारे पास जड़ी-बूटियां हैं।
बाबा के यौन शोषण के आरोप में घिरने के बाद मंदिर से भक्तों ने दूरी बना ली थी। फलाहारी महाराज मूलत: यूपी के रहने वाले हैं। इनका अधिकांश समय शिक्षा-दीक्षा व ज्ञान में अयोध्या में बीता। 1988 में फलाहारी महाराज अलवर आए और कुछ सालों तक नारायणी धर्मशाला में रहे। फलाहारी बाबा श्रद्धालुओं के समक्ष भोजन में केवल फलाहार करने और गंगाजल पीने का हवाला देते थे।
करीब ढाई दशक से ज्यादा समय से अलवर में प्रवास के दौरान उन्होंने वर्षा के लिए यज्ञ सहित अनेक अनुष्ठान किए। साथ ही आश्रम के समीप ही करीब दो साल पहले श्रीवेंकटेंश तिरूपति बालाजी दिव्य धाम का निर्माण कराया। इसके अलावा शहर के समीप ही गोशाला का भी निर्माण कराया। फलाहारी महाराज का राजनीति से गहरा लगाव रहा है। इनके आश्रम में कई राजनेता नियमित रूप से आते रहे हैं।
कौशलेन्द्र प्रपन्नाचार्य फलाहारी के नाम के आगे फलाहारी जुड़ा हुआ है। ये हमेशा फलों को आहार के रूप में लेते हैं और गंगाजल पीते हैं। इनके शिष्य देश के कई राज्यों में हैं। इनके अलवर, छत्तीसगढ़ सहित कई अन्य स्थानों पर भी आश्रम हैं। रामानुजाचार्य कौशलेन्द्र प्रपन्नाचार्य फलाहारी किसी भी शिष्य को छूते नहीं हैं। इनके हाथ में हमेशा एक डंडा रहता है। यदि किसी शिष्य को उन्हें आशीर्वाद देना होता है तो वे मात्र उसके शरीर पर डंडे से स्पर्श करते थे। गुरु पूर्णिमा के दिन ही इनके पैर छू सकते थे, जबकि अन्य दिनों में शिष्यों को पैर छूने की इजाजत नहीं थी।