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पिछले साल की तुलना में अभी और आंतकियों का मारा जाना बाकी
जम्मू कश्मीर एक पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि कश्मीर घाटी में 254 आतंकी मारे गए थे। तो इस साल 1 जनवरी से 31 मई तक सुरक्षा बोलों ने 100 से अधिक आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा। मारे गए आतंकियों में विभिन्न संगठनों के 25 विदेशी आतंकी भी शामिल थे। यानि पांच महीने। हर महीने औसतन 20 आतंकी मारे गए। वहीं 6 जून, 2019 तक ये संख्या 103 आतंकियों तक पहुंच गई। यानि पिछले साल के अनुपात में अभी आतंकियों के मारे जाने की कम है।
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सीज फायर में सबसे ज्यादा पाकिस्तान का नुकसान
पाकिस्तान की सेना ने की ओर से आए दिन संघर्षविराम का उल्लंघन किया जाता है। नियंत्रण रेखा के पास भारत की अग्रिम चौकियों पर मोर्टार से गोले दागे और गोलीबारी की घटनाएं होती रहती हैं। मार्च से अप्रैल के बीच LoC के पास संघर्षविराम का 513 बार उल्लंघन किया। हालांकि बगैर उकसावे के सीजफायर तोड़ कर पाकिस्तान अपना ही नुकसान करता है। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारतीय सेना हर बार जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी पक्ष को भारत के मुकाबले पांच से छह गुना अधिक नुकसान पहुंचाती है। साल 2018 में पाकिस्तान ने जहां 1629 बार सीज फायर तोड़ा वहीं इस साल ये सिर्फ 6 महीने 6 दिन में ये आकंड़ा 1170 हो चुका है।
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आतंकियों के नहीं मिल रहे उनके आका
14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले और लेथपोरा में CRPF कैंप पर हमले के बाद भारतीय सेना ने आतंक के खिलाफ बड़े कदम उठाए हैं। सुरक्षाबलों ने इन हमलों संलिप्त शीर्ष आतंकी कमांडर और उनके कैडर के आंतकियों मौत के घाट उतार दिया। कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि जैश-ए-मोहम्मद जैसे कुछ उग्रवादी संगठनों ने अपना सारा नेतृत्व घाटी में खो दिया है। सीमा पार उनके किसी भी दल का कोई भी आतंकी जम्मू कश्मीर आने और संगठन का नेतृत्व करने के लिए तैयार नहीं है।