शेंगले नागपुर पहुंचने के बाद पुलिस आयुक्तालय में पुलिस आयुक्त डॉ. के व्यंकटेशम से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान अनौपचारिक चर्चा करते हुए उन्होंने बताया की अजमल कसाब पर देश विदेश का ध्यान लग चुका था। उससे जुड़े एक-एक सवाल को सुलझाना आसान काम नहीं था। जांच दल में शामिल पुलिस अधिकारियों को पसीने छूट रहे थे। लेकिन शेंगले ने उस समय की मांग को स्वीकार किया और कसाब से कई राज उगलवाए। जिसके आधार पर यह साबित किया जा सका कि पाकिस्तान आतंकी पाल रहा है। कसाब को पंजाबी भाषा अच्छी तरह आती थी। इस कारण उसका स्टेटमेंट लिखने में काफी परेशानी होती थी। 90 दिनों में अदालत में चार्जशीट दाखिल करनी थी। जिससे जांच दल को रात दिन मेहनत करनी पड़ी। उसने पूछताछ में एक बात हमेशा कहता था कि उसका कोई जाति धर्म नहीं है।
कसाब यह कहता था कि भारत के प्रत्येक पुरुष, स्त्री बच्चे वृद्ध और जानवर से उसकी दुश्मनी है। इसकी शिक्षा ही उसे दी गई थी। इसी कारण है कई बार जांच के दौरान पूछताछ करते समय हिंसक हो जाया करता था। शेंगले ने अदालत में जोरदार पक्ष रखा था। जब कसाब को फांसी की सजा सुनाई गई तब जांच दल ने राहत भरी सांस ली थी। एसीपी बने केशव शेंगले 1990 में पुलिस उपनिरीक्षक के रूप में मुंबई पुलिस सेवा में पदस्थ हुए। उन्होंने 27 वर्ष मुंबई में नौकरी की। जुलाई माह में उन्हें पदोन्नति देकर नागपुर में एसीपी बनाकर भेजा गया है। उन्होंने पुलिस आयुक्तालय में पुलिस आयुक्त डॉ. के व्यंकटेशम से मिलकर सहायक पुलिस आयुक्त सोनेगांव का पदभार 15 अगस्त 2017 को स्वीकार किया ।