‘ये जड्डू का कसूर नहीं, बल्कि मेरा है’
दरअसल, विमल कुमार ने यूट्यूब चैनल पर अश्विन से सवाल किया कि जब आप और रवींद्र जडेजा में से किसी एक को प्लेइंग इलेवन में शामिल किया जाता है तो आप क्या सोचते हैं? इस पर अश्विन ने कहा कि ऐसा ज्यादा बार नहीं हुआ है और ये मेरी समस्या है, जड्डू की थोड़ी है। मतलब अगर मैं प्लेइंग इलेवन में नहीं हूं तो ये जड्डू का कसूर नहीं, बल्कि मेरा है। मैं इसके बाद सोचता हूं कि कैसे बेहतर हो सकता हूं।
‘मैं रवींद्र जडेजा को किडनैप करके घर में थोड़ी रख सकता हूं’
अश्विन ने कहा कि मैं रवींद्र जडेजा को किडनैप करके घर में थोड़ी रख सकता हूं। मुझे मौका नहीं मिला है तो नहीं मिला। मेरी सोच ये ही रहती है कि मैं और कैसे बेहतर कर सकता हूं। इसमें जलने वाली कोई बात नहीं है। टीम में 11 ही खेल सकते हैं। जो नहीं खेलता है, उसे खुद हैंडल करना चाहिए कि इसमें किसी की गलती नहीं। मुझे अपनी बल्लेबाजी पर और फील्डिंग पर काम करना चाहिए। मैं जड्डू की तरह फील्डिंग नहीं कर सकता। मगर मेरे अंदर ये चीज रहनी चाहिए कि मैं प्रयास करूं कि जैसी मैं फील्डिंग करता हूं, उससे बेहतर कर सकूं। ‘हम यह साबित करने की प्रवृत्ति रखते हैं कि मैं अच्छा’
अश्विन ने आगे कहा कि हम यह साबित करने की प्रवृत्ति रखते हैं कि मैं अच्छा हूं, मगर वह खेल रहा है, क्योंकि वह पॉलिटिक्स है। वहीं, जब उनसे सवाल किया गया कि एक समय कुंबले और भज्जी खेलते थे, तब लगता लगता था कि इनके बाद कौन होगा? इस पर अश्विन ने कहा कि ये नई बात नहीं। 1995 में किस ने सोचा था कि स्मार्टफोन आएंगे। समय बदलता है और इसका कोई अंत नहीं है।