कोच्चि टस्कर्स केरला टीम को लेकर विवाद –
पत्रकार बोरिया मजूमदार ने अपनी किताब में बताया कि ललित मोदी कोच्चि टस्कर्स की टीम को आईपीएल से नहीं जाने देना चाहते थे। ऐसे में वे इससे जुड़े दस्तावेजों में साइन नहीं कर रहे थे। वे लगातार बीसीसीआई के वकील और टीम के मालिकों को कोई न कोई बहाना कर के लौटा देते थे।
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मोदी आईपीएल के कमिश्नर थे और उनके साइन के बिना यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती थी। कई बार मोदी ने यह कहकर साइन करने से मना कर दिया कि दस्तावेज सही नहीं है उन्हें बदलना पड़ेगा। बीसीसीआई की वकील को साफ निर्देश मिले थे कि जल्द से जल्द फाइल पर ललित मोदी के हस्ताक्षर लें और कोच्चि टस्कर्स का मामला खत्म करें। लेकिन मोदी हर बार दस्तावेजों में बदलाव की बात कहकर साइन करने से मना कर देते थे।
रात तीन बजे किया साइन –
एक सप्ताह में नौ मीटिंग हो चुकी थीं और मामला वहीं का वहीं था। ऐसे में तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर ने कोच्चि के मालिक को यह काम करने के लिए कहा। मोदी आईपीएल मैच खत्म होने तक कोच्चि के मालिक को होटल में कई घंटों तक इंतजार कराया और साइन नहीं किए।
ऐसे में मनोहर ने मोदी से कहा कि अगर वो हस्ताक्षर नहीं करेंगे तो बीसीसीआई सचिव से कहकर सुबह हस्ताक्षर करा लिए जाएंगे। सचिव के पास ऐसा करने के पूरे अधिकार हैं, क्योंकि आईपीएल बीसीसीआई का ही एक हिस्सा है। इसके बाद मजबूरन मोदी को रात 3 बजे कोच्चि टस्कर्स के कागजों पर साइन करना पड़ा।
पैंडोरा पेपर का खुलासा और शशि थरूर का इस्तीफा –
कोच्चि टस्कर्स फ्रेंचाइजी आईपीएल 2010 का हिस्सा थी। फ्रेंचाइजी कांट्रैक्ट के मुताबिक बीसीसीआई को सालाना बैंक गारंटी नहीं दे पाई थी। जिसके चलते उन्हें एक साल बाद ही इसे हटा दिया गया था। साइन करने के बाद मोदी पूरी तरह से झल्ला गए थे। ऐसे में गुस्से में उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट किए।
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ट्वीट में उन्होंने पैंडोरा पेपर से जुड़ी कुछ बातें लिखी। उन्होंने तत्कालीन विदेश मंत्री शशि थरूर पर भी आरोप लगाए। मोदी ने कहा कि थरूर की दोस्त जो बाद में उनकी पत्नी बनी सुनंदा पुष्कर ने भी रेंडेजवोस स्पोर्ट्स वर्ल्ड कंपनी में निवेश कर रखा है। जो कोच्चि टीम के सह मालिकों में से एक थी। इस विवाद के बाद शशि थरूर को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
IPL मीडिया राइट्स घोटाला –
थरूर के इस्तीफे के बाद विवाद और गरमा गया और ललित मोदी को भी बीसीसीआई से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद आईपीएल के मीडिया राइट्स से जुड़ा एक घोटाला सामने आया। 2008 में आईपीएल के मीडिया राइट्स वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप (WSG) को सौंपे गए थे, लेकिन फिर WSG और मल्टी स्क्रीन मीडिया लिमिटेड (MSM) के बीच एक डील हुई जिसमें कहा गया कि यदि एमएसएम 425 करोड़ रुपये देता है तो वे अपना मीडिया राइट रद्द कर देंगे। एमएसएम अब सोनी पिकचर्स के नाम से जाना जाता है।
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इसके बाद MSM ने कथित तौर पर 125 करोड़ रूपये का भुगतान कर दिया और राइट्स वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप के पास आ गए। लेकिन बीसीसीआई के सेक्रेटरी का कहना था कि इस डील में उनकी कोई भूमिका नहीं है और ये डील ललित मोदी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए खुद कराई है।
इसके बाद जांच हुई और पाया गया कि इस डील से उन्हें करीब 125 करोड़ का सीधा फायदा हुआ है। इसके अलावा मोदी ने आईपीएल से अपने दोस्तों और परिवार को फंड ट्रांसफर किए थे और इसका फायदा पहुंचाया था। उनपर अपने करीबी लोगों को टीमों का मालिक बनाने का भी आरोप लगाया गया था।
देश छोड़कर भागे मोदी –
जिसके बाद 2013 में बीसीसीआई ने उन पर आजीवन बैन लगा दिया और मोदी अंडरवर्ल्ड से धमकियां मिलने की बात कहते हुए देश छोड़कर लंदन भाग गए। 2018 में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बीसीसीआई, पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और ललित मोदी पर 121.56 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। ये दक्षिण अफ्रीका में आयोजित 2009 आईपीएल के लिए फंड ट्रांसफर करते समय फेमा अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित था।