एशिया प्रसिद्ध काले हरिणों की शरण स्थली तालछापर कृष्ण मृग अभ्यारण्य से महज दस किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत आबसर के शिव सरोवर पर इन दिनों सैलानी परिदों का कलरव कानों में रस घोल रहा है।
चूरू•Oct 03, 2021 / 09:13 am•
Madhusudan Sharma
गूंज रहा सैलानी परिदों का कलरव
पडि़हारा. एशिया प्रसिद्ध काले हरिणों की शरण स्थली तालछापर कृष्ण मृग अभ्यारण्य से महज दस किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत आबसर के शिव सरोवर पर इन दिनों सैलानी परिदों का कलरव कानों में रस घोल रहा है। हजारों किमी का सफर तय कर कंधार (अफगानिस्तान) कंधार से कुरजां (डेमासाइल क्रेन) सितम्बर माह के पहले पखवाड़े से ही ताल छापर अभ्यारण्य सहित आस पास के गांवों में बने बड़े तालाबों पर डेरा डाले हैं। आबसर के शिव सरोवर में इस बार अच्छी बारिश के चलते पानी की भरपूर आवक के चलते परिंदों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। तालाब में कुरजां के अलावा सात समंदर पार से मीलों का सफर तय कर आए अन्य प्रजातियों के पक्षी भी देखे जा सकते है। यूरोप व मध्य एशिया के ठंडे प्रदेशों में सितंबर से मार्च तक धरातल बर्फ से ढक जाने के कारण वहां के तापमान में गिरावट आ जाती है, ऐसे में प्रवासी पक्षियों को खान-पान रहन-सहन के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहां के परिंदे अपना प्रवास काल बिताने के लिए हर साल तालछापर अभ्यारण्य जाते हैं। दूरदराज से आने वाले परिंदों का जब अभ्यारण्य के अलावा पडि़हारा ताल, आबसर, हरासर के सुरक्षित तालाबों पर कलरव करते है तो इनको करीब से निहारने के लिए पर्यटकों का रूझान भी बढऩे लगा है। तालछापर अभ्यारण में बने वाटर पॉइंट के अलावा बड़े समीपस्थ तालाबों पर विदेशी पक्षी अपना भोजन तलाशते हर रोज दिखाते है जिनमें वाटर फ ाऊल पक्षी की श्रेणी में टील, गेडवेल, पोचार्ड एवोशेट, प्लोवर स्टींट, सेंड पाईपर रफ जैसे पक्षी प्रमुख है। यहां आने वाले पक्षी कीट पतंगों के अलावा मोथिया घास के बीज भी बड़े चाव से खाते हैं। तालाबों में जलीय जन्तु भी इनका आहार होता है।
इनका कहना है
&गांवों में मानसून की अच्छी बारिश के बाद तालाबों और नालों में भरपूर पानी होने से जलीय जंतु व घास की प्रचुरता प्रवासी परिंदों का रूझान गांवों व आस पास के इलाकों में बढा रही है। गत वर्ष की अपेक्षा इस बार मेहमान पक्षियों की संख्या में और बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।
ईश्वर सुथार, पक्षी प्रेमी, आबसर
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