scriptRajasthan News : ……यहां झोपड़ी में ठीक होते हैं मानसिक अवसाद के मरीज, डॉक्टर करता है फ्री में इलाज | Rajasthan News: ……Patients of mental depression are cured in a hut here, the doctor treats them for free | Patrika News
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Rajasthan News : ……यहां झोपड़ी में ठीक होते हैं मानसिक अवसाद के मरीज, डॉक्टर करता है फ्री में इलाज

डॉ. पूनिया कहते हैं कि अंधविश्वास और रूढीवादी विचारों के चलते मानसिक अवसाद बढ़ता जा रहा है। लोग इस बीमारी को पहले गंभीरता से नहीं लेते। बाद में चिकित्सक की बजाय झाड़-फूंक व दूसरे रास्ते पहले अपनाते हैं। वे चिकित्सक के पास पहुंचते हैं, तब बहुत देर हो चुकी होती है।

चूरूJun 20, 2024 / 07:00 pm

जमील खान

Churu News : सादुलपुर. तारानगर-सादुलपुर सड़क पर स्थित एक खेत में बनी झौपड़ी बाहर से देखने पर तो सामान्य लगती है। लेकिन इस झौपड़ी ने अब तक हजारों लोगों को मानसिक अवसाद से बाहर निकाला है। इस काम का जिम्मा उठा रखा है चिमनपुरा गांव निवासी डॉ. दारासिंह पूनियां ने। वह भी बिना शुल्क के। इतना नहीं यहां पर उपचार के लिए आने वाले मरीजों को पर ंपरागत खेती में नवाचार की सीख भी दी जा रही है।
मानसिक अवसाद की बढ़ती बीमारी को देखते हुए डॉ पूनियां ने ओजरिया बस स्टैंड के पास अपने खेत में लगभग नो माह पूर्व मरीजों को देखना शुरू किया। हर महीने के तीसरे बुधवार को जयपुर से आने के कारण यहां लोगों की पहले से ही भीड़ एकत्र हो जाती है। चिकित्सक न्यूरो साइकियाट्रिस्ट डॉ. पूनियां मानसिक रूप से बीमार लोगो के दर्द को समझकर निशुल्क उपचार कर रहे हैं।
उनका कहना है कि जयपुर जैसे बड़े शहरों तक पहुंचने में लोगों को परेशानी ही नहीं, पैसा भी खर्च होता है। अनेक प्रकार की जांचों का भी सामना करना पड़ता है। उनका कहना है कि इस बीमारी का उपचार लम्बा चलता है। ऐसे में साधन सम्पन्न बीमारों को दवा बाहर से खरीदने की सलाह देते हैं। सामान्य मरीजों को निशुल्क दवा उपलब्ध करवाने के साथ उसकी जांच करवाने में भी सहयोग दिया जाता है।
बीमारी से उबरने के लिए जागरूकता जरूरी
डॉ. पूनिया कहते हैं कि अंधविश्वास और रूढीवादी विचारों के चलते मानसिक अवसाद बढ़ता जा रहा है। लोग इस बीमारी को पहले गंभीरता से नहीं लेते। बाद में चिकित्सक की बजाय झाड़-फूंक व दूसरे रास्ते पहले अपनाते हैं। वे चिकित्सक के पास पहुंचते हैं, तब बहुत देर हो चुकी होती है। इसलिए उन्होंने गांव के बीच खेत में रोगियों के उपचार का बीड़ा उठाया हैं।
माइंड रूट फाउंडेशन चौपाल का किया गठन
स्वास्थ्य और खेती के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से माइंड रूट फाउंडेशन 2016 में गठन किया। जिसके माध्यम से उन्होंने मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों की मदद का संक ल्प लिया है। साथ ही खेती बाड़ी चौपाल कार्यक्रम के माध्यम से किसानों को फसलों में बदलाव करने तथा आधुनिक पद्धति को अपनाकर कम खर्चे में अधिक फसल पैदा करने के लिए भी किसानों जागरूक किया जा रहा है।
डॉ पूनियां ने बताया कि वर्ष 2019 में जी 20 में संगठन ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। मानसिक बीमारियां बच्चों से होती है शुरू डॉक्टर पूनिया ने बताया कि हकीकत यह है कि मानसिक बीमारियां बच्चों में शुरू होती है। माता-पिता की डांट या बच्चों की इच्छा पूरी न होना मनपसंद भोजन ना मिलाना आदि अनेक घरेलू बातों के कारण बच्चे मानसिक बीमारी के शिकार हो जाते हैं। बच्चे अचानक जिद करने लग जाते हैं या क्रोधित होने लगते हैं खाना नहीं खाते हैं ऐसे लक्षण को बच्चा समझ कर नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन उम्र बढऩे और बीतने के साथ ही बीमारी उसे घेर लेती है। ऐसे समय में बच्चों के प्रति विशेष सावधानी की जरूरत है। 15 से 25 वर्ष की उम्र बहुत महत्वपूर्ण है जिसमें परिजनों को बच्चों के प्रति जिम्मेदारी से ध्यान रखना जरूरी है।
छुपाते हैं बीमारी को लोग
डॉ पूनिया ने बताया कि मानसिक बीमारियां शुरू में बहुत ज्यादा दिक्कत देती है। अवेयरनेस की कमी के चलते लोग अस्पताल नहीं जाते हैं। इसलिए उन्होंने एक ऐसा स्पेस तैयार किया है कि शहर और गांव से दूर हो तथा नजदीक भी हो तथा मानसिक बीमारी से पीडि़त रोगियों के डर वाले पार्ट को दूर करने के लिए ऐसी जगह को चुना है। ताकि मरीज के मन में बदलाव हो उसे लगता है कि उसे कोई यहां जानता नहीं है। ऐसी स्थिति में उसका उपचार संभव है। उन्होंने बताया कि विचार सोच और व्यवहार में बदलाव होना मानसिक बीमारी के लक्षण है। खाना नहीं खाना, बात नहीं करना, निगेटिव विचार और सोच रखना बिना वजह दुखी और चिड़चिड़ा हो जाना आदि लक्षणों को देख पीडि़त व्यक्ति को मेंटल हेल्थ इश्यू को पहचान कर खुलकर उपचार की जरूरत है।

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