गर्ग के साथ आए एक्सईएन दिनेश कुमार ने बताया कि 21 अप्रेल 2013 को आरओबी का काम खत्म हो गया था। इसके बाद सानिवि की नेशनल हाईवे विंग को आरओबी सौंप दिया गया था। 21 अप्रेल 2018 को पुल की डिफेक्ट लाइबिलिटी समाप्त हो गई। पुल के निर्माण पर साढ़े 29 करोड़ से अधिक रुपए खर्च हुए थे। आरयूआईडीपी के सहा. इंजीनियर अनिल कुमार शर्मा, एसई कल्याणमल मंडावरिया मौजूद थे। गौरतलब है कि चूरू-जयपुर रोड पर बना यह ओवरब्रिज दरकने लगा है। इसमें यातायात के जोखिम के कारण यातायात को बंद कर दिया गया है। इतनी जल्दी इस ब्रिज के क्षतिग्रस्त होने पर सवाल उठने लगे हैं। एक ब्रिज बनता है तो उसकी आयु कम से कम पचास वर्ष मानी जाती है। लेकिन इस आरओबी को बने सिर्फ छह वर्ष ही हुए हैं और क्षतिग्रस्त हो गया। करोड़ो रुपए खर्च होने के बावजूद लगता है कि ब्रिज में गुणवत्ता युक्त सामग्री नहीं लगाई गई है।