इस मामले को लेकर अमन नामक एक व्यक्ति ने सीएमओ में शिकायत की थी। इसमें बताया गया था कि हरियाणा के दो दर्जन से अधिक लोग गाडिय़ों में सवार होकर बीकानेर जिले के गुंसाईसर गांव जा रहे थे। टोल नाके पर कर्मचारियों से विवाद होने के बाद वे कालू के रास्ते से सरदारशहर पहुंचे। रेलवे फाटक के पास डीएसपी माहेश्वरी के नेतृत्व में खड़ी पुलिस ने गाडिय़ों की तलाशी ली और सभी को पुलिस थाने ले गए।
जांच में हुआ खुलासा
जानकारी के अनुसार, थाने में लाए गए सभी लोगों के साथ कथित तौर पर पुलिस ने दुर्व्यवहार किया। गंभीर मामलों में फंसने की भी धमकी दी। यह भी सामने आया है कि इस मामले में एक स्थानीय नेता की भूमिका बताई जा रही है। उसने थाने में आकर पकड़े गए लोगों से कहा कि मामले को रफा-दफा करने के लिए डीएसपी से बात हो गई है। मामले को दबाने के लिए 7.50 लाख रुपए लगेंगे।
बाद में मामला छह लाख रुपए में तय हुआ। एक लाख रुपए नगद दिए तथा उनके बताए अनुसार एक खाते में 50 हजार रुपए व दूसरे खाते में साढे़ चार लाख रुपए डाल दिए। रुपए देने के बाद सभी को छोड़ दिया गया। इस मामले के लेकर चूरू सांसद राहुल कस्वां ने एसपी से वार्ता की तथा सोशल मीडिया पर पोस्ट लगाई, जिसके बाद पुलिस हरकत में आई और रतनगढ़ सीओ आईपीएस प्रशांत से जांच करवाई गई। जांच में बात सही पाए जाने के बाद बुधवार को डीएसपी को एपीओ करने के आदेश जारी कर दिए गए।
चूरू सांसद राहुल कस्वां ने की थी ये मांग
विगत 16 सितम्बर की रात्रि के दौरान वृत्ताधिकारी (डीवाईएसपी) सरदारशहर, चूरू द्वारा हरियाणा से बीकानेर की ओर अपने निजी काम से जा रहे लोगों के साथ मारपीट करने व मुकदमें का भय दिखाकर उनसे मोटी रकम वसूली करने का मामला संज्ञान में आया है। सरदारशहर वृत्ताधिकारी द्वारा चैकिंग के नाम पर हरियाणा के लोगों को रोका जाता और फिर पुलिस स्टेशन ले जाया जाता है, जहां इनके पास कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। फिर भी इन लोगों के साथ मारपीट कर झूठे मुकदमें का भय दिखाकर मोटी रकम की वसूली गई।
उन्होंने आगे कहा था कि, हरियाणा के इन लोगों से लगभग 6 लाख रूपये, जिसमें 1 लाख रू. नकद व शेष राशि किन्ही दो अन्य व्यक्ति जो सरदारशहर के ही बताए जा रहे हैं, के खातों में ट्रांसफर करवाई गई। इस प्रकरण को लेकर मैंने चूरू एसपी से वार्ता की है और प्रकरण की यथाशीघ्र जांच कर शामिल पुलिस अधिकारी व अन्य लोगों पर सख़्त कार्यवाही करने को कहा है। बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि राजस्थान पुलिस की वर्दी को ऐसे अधिकारी कलंकित करने का कृत्य कर रहे हैं।
प्रदेश के मुखिया तो एक तरफ निवेश लाने के लिए ‘राइजिंग राजस्थान’ की बात कर रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ पुलिस के ऐसे अधिकारी जो वर्दी की आड़ में इस प्रकार के शर्मनाक कृत्य कर प्रदेश की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं और राजस्थान पुलिस का इकबाल खत्म कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को चाहिए कि इस मामले में शामिल पुलिस अधिकारी व अन्य लोगों पर कड़ी कार्यवाही त्वरित रूप से करें, ताकि प्रदेशभर में एक स्पष्ट संदेश जाए और ऐसी शर्मनाक घटना की पुनरावृत्ति न हो।