बता दें, राज्य मंत्रिमंडल में चित्तौड़गढ़ जिले का प्रतिनिधित्व कायम है। इससे पूर्व गत कांग्रेस सरकार में उदयलाल आंजना कैबिनेट मंत्री बने थे। वहीं, पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में श्रीचंद कृपलानी कैबिनेट मंत्री रहे हैं।
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परंपरागत वोट साधने की कोशिश
बड़ीसादड़ी विधानसभा क्षेत्र का गुलाबचंद कटारिया जैसे दिग्गज जैन नेता प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इसके बाद से ही बड़ीसादड़ी को जैन-वैश्य वर्ग का गढ़ माना जाता है। अब दक को मंत्री बना भाजपा ने अपने परम्परागत वोटबैंक जैन व वैश्य मतों को साधने की कोशिश की है।
कर्मठ कार्यकर्ता की है छवि
दक की छवि पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में है। खुद का टिकट कटने और 2023 के चुनाव में चित्तौड़ से चन्द्रभान सिंह आक्या का टिकट के बाद मची गुटबाजी से स्वयं को दूर रखा।
टिकट कटा पर रखा धैर्य
दक पहली बार 2013 में भाजपा की टिकट से बड़ीसादड़ी से विधायक चुने गए थे। हालांकि, इसके बाद 2018 के चुनाव में उनका टिकट काट पर ललित ओस्तवाल को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया। विधायक रहते टिकट कटने के बाद भी दक ने धैर्य बनाए रखा और पार्टी के लिए काम किया। 2019 तक वे बांसवाड़ा में जिला संगठन प्रभारी के रूप में कार्य करते रहे। दिसम्बर 2019 में उन्हें भाजपा का चित्तौड़गढ़ जिलाध्यक्ष बनाया गया। 2023 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जून माह तक वे इस पद पर रहे। बाद में पार्टी ने ओस्तवाल का टिकट काट उन्हें फिर से बड़ीसादड़ी से प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के बद्रीलाल जाट जगपुरा को 11 हजार 832 वोट से हराया।