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चित्तौड़गढ़

चित्तौड़गढ़ में अफीम की खेती बनी नारकोटिक्स विभाग की कमाई का जरिया, किसानों से कर रहे काली कमाई

चित्तौड़गढ़ और उसके आस-पास के इलाकों में अफीम की खेती नारकोटिक्स विभाग की काली कमाई का जरिया बन गई है।

चित्तौड़गढ़Jan 20, 2025 / 08:00 am

Lokendra Sainger

Chittorgarh news

अफीम की खेती

नितिन भाल।
चित्तौड़गढ़ और उसके आस-पास के इलाकों में इन दिनों अफीम की खेती जारी है। नारकोटिक्स विभाग द्वारा इन दिनों खेतों में पैमाइश की जा रही है। इस पैमाइश का उद्देश्य यह देखना है कि कहीं किसान तयशुदा से अधिक भूमि में तो अफीम की खेती नहीं कर रहे। यह पैमाइश नारकोटिक्स विभाग के लिए काली कमाई का जरिया बन रही है।
दरअसल, प्रत्येक किसान को अधिकतम 10 आरी भूमि पर अफीम उगाने की मंजूरी दी जाती है। किसानों को सख्त हिदायत दी जाती है कि वे निर्धारित क्षेत्र से बाहर खेती न करें। नारकोटिक्स विभाग का मुख्य काम यह सुनिश्चित करना है कि किसान तयशुदा भूमि सीमा का पालन करें। किसानों के अनुसार, नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी पैमाइश के दौरान नियमों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।
सामान्यत: पौधे की जड़ों से भूमि की माप की जानी चाहिए, लेकिन अधिकारी पौधों के पत्तों को मापते हैं। अफीम के पौधे के पत्ते अक्सर तयशुदा 10 आरी क्षेत्र से बाहर तक फैल जाते हैं। इस कारण, विभाग द्वारा की गई पैमाइश में क्षेत्र तय सीमा से अधिक दिखाया जाता है।

भ्रष्टाचार का खेल

नाम नहीं छापने की शर्त पर किसानों का कहना है कि इस ‘अधिक नाप’ के नाम पर नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी उनसे अवैध रूप से पैसे वसूलते हैं। हर इंच के लिए किसानों से 3 हजार रुपए तक की वसूली की जाती है। नारकोटिक्स वाले पत्तों को मापकर हमें दोषी ठहरा देते हैं। फिर पैसे देकर ही इस झंझट से छुटकारा मिलता है। विरोध करने पर अगली बार पट्टा कटने या किसी अन्य मामले में फंसाने का डर रहता है। ऐसे में पैसे देने ही पड़ते हैं।

सांसद भी जता चुके नाराजगी

बता दें, नारकोटिक्स विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर स्थानीय सांसद सीपी जोशी भी कई बार नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। गत बार अफीम तौल के दौरान उन्होंने नारकोटिक्स कार्यालय का औचक निरीक्षण भी किया था।

समाधान की राह

  • पैमाइश प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाए।
  • नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों की गतिविधियों पर उच्चस्तरीय निगरानी रखी जाए।- किसानों की शिकायतों को गंभीरता से लिया जाए और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए।
  • भ्रष्टाचार में लिप्त कार्मिकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।

यह बोला विभाग

नपाई के लिए ऐसे कोई लिखित निर्देश नहीं है। पौधों से पौधों की नपाई की जाती है। फिर भी अगर कोई किसान नपाई से असंतुष्ट है या उसकी कोई शिकायत है तो वह बेहिचक कार्यालय आकर सम्पर्क कर सकता है।- अजय शंखवार, डीओ, नारकोटिक्स विभाग चित्तौड़गढ़

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