विदेशों तक मशहूर है मोरिंगा
दक्षिण भारत में तो मोरिंगा खूब उपयोग में आता है। वहां लोग इसके फूल, फल और पत्तियों का उपयोग व्यंजनों में वर्ष पर्यन्त करते हैं। इसके अलावा फिलीपिंस, मैक्सिको, श्रीलंका, मलेशिया आदि देशों में सहजन के बीजों से तेल और पाउडर बनाकर विदेशों में निर्यात किया जा रहा है।प्रधानमंत्री ने खुलासा किया तो लोगों में भी बढ़ा क्रेज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2020 में फिट इंडिया मूवमेंट के मौके पर सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि वे सप्ताह में एक या दो बार सहजन (मोरिंगा) के पराठे का सेवन करते हैं। प्रधानमंत्री के इस खुलासे के बाद आमजन में भी मोरिंगा के सेवन को लेकर क्रेज बढ़ा है।प्रति हैक्टेयर 500 ग्राम बीज
सहजन में बीज और शाखा के टुकड़ों दोनों से ही प्रवर्धन होता है। अच्छी फलन और साल में दो बार फलन के लिए बीज से प्रवर्धन करना अच्छा है। एक हैक्टेयर में खेती करने के लिए 500 ग्राम बीज पर्याप्त हैं। बीज को सीधे तैयार गड्ढों में या फिर पॉलीथीन बैग में तैयार कर गड्ढों में लगाया जा सकता है।कैल्शियम और आयरन का भण्डार है मोरिंगा
अव्यवस्थित जीवनशैली और फास्ट फूड के बढ़ता चलन सेहत को बिगाड़ रहा है। बच्चों और बड़ों में कैल्शियम और आयरन की कमी आम हो गई है। इसकी पूर्ति के लिए मोरिंगा कैल्शियम और आयरन का भण्डार है।300 तरह की बीमारियों के इलाज में उपयोग
सहजन के फूल, फल और पत्तियों का भोजन के रूप में उपयोग होता है। जबकि इसकी छाल, पत्तियों और बीज, गोंद, जड़ आदि से आयुर्वेदिक दवा तैयार की जाती है। जो करीब 300 तरह की बीमारियों के इलाज में काम आती है। कैल्शियम भरपूर होने से यह साइटिका, गठिया आदि में उपयोग ली जाती है। इससे लीवर की सेहत भी अच्छी रहती है।-डॉ. तरुण प्रमाणिक, प्रभारी, जिला आयुर्वेद चिकित्सालय चित्तौड़गढ