आधार कार्ड के प्रपत्र भरने में निकला पसीना, वर्तमान नस्ल को ही मान रहे सर्वेयर
छिंदवाड़ा•Jun 22, 2018 / 11:39 am•
manohar soni
pashu
छिंदवाड़ा.किसी भी पशुपालक से गाय-भैंस की वंशावली पूछो तो वह सिर पकड़कर बैठ जाता है। मजबूरी में संबंधित मवेशी की वर्तमान नस्ल ही लिखनी पड़ रही है। पशु चिकित्सा विभाग द्वारा पशुओं के बनाए जा रहे आधार कार्ड में यह खुलासा हुआ है। मैदान में विभागीय सर्वेयरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उनके अनुसार पशुपालकों के असहयोग से सहीं जानकारी सामने नहीं आ पाएगी। सरकार ने इस बिन्दु को भविष्य की योजनाओं को देखते हुए शामिल किया है। इससे सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पशुओं को देगी।
विभागीय जानकारी के अनुसार जिले में दो लाख से अधिक गौवंशीय पशुओं का आधार कार्ड बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत पशुओं के कान में पहचान के लिए टैग भी लगाए जा रहे हैं। विभागीय मुख्यालय द्वारा प्रथम चरण में ५२ हजार टैग उपलब्ध कराए गए हैं। इनमें से ५१ हजार १४५ टैग लगाए गए वहीं २५० टैग कान में लगाते समय टूट गए। इस दौरान पशुपालकों से पशुओं से संबंधित जानकारी जुटाने के लिए संपर्क किया गया तो अधिकांश पशुपालक उनकी वंशावली के सवालों का उत्तर दे नहीं पाए। केवल वर्तमान नस्ल ही बुमुश्किल बता पाए। इससे सर्वेयर कर्मचारियों को वर्तमान नस्ल लिखकर ही सवाल का अंत करना पड़ा। फिलहाल इस जानकारी की ऑनलाइन फीडिंग भी की जा रही है। इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए ५० हजार टैग बुलाने का आर्डर और भेजा गया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि आधार कार्ड की जानकारी काफी कुछ पशुओं का अंदाजा लगाकर लिखनी पड़ रही है। विभागीय उपसंचालक डॉ.केके शर्मा ने भी स्वीकार किया कि आधार कार्ड की जानकारी एकत्र करने में पशुपालक वंशावली के सवालों के जवाब नहीं दे पा रहे हैं। इस स्थिति में वर्तमान नस्ल ही प्रपत्र में भरनी पड़ रही है। पूरे जिले में दो लाख से अधिक आधार कार्ड बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया है।
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